देश के पूर्व रेल मंत्री स्व. ललित नारायण मिश्रा की 101वीं जयंती मनाई गई
आज जिला कांग्रेस कमिटी मधुबनी के सभागार में मिथिलासपूत, बिहार के गौरव,देश के पूर्व रेल मंत्री स्व. ललित नारायण मिश्रा की 101वीं जयंती समारोह पार्टी जिलाध्यक्ष प्रो. शीतलाम्बर झा के अध्यक्षता में सादगी से मनाई गई।
सर्वप्रथम उनके तैल चित्र पर उपस्थित कांग्रेसजनों ने पुष्पांजलि अर्पित शिद्दत से श्रदासुमन निवेदित किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रो. झा ने ललित बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा ललितबाबू मिथिला के माटी में जन्म लिए और देश के आजादी आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिए और इसके लिए उन्हें कई बार यातनाएं भी दी गई। अजादी के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार में संसदीय सचिव बनाने का उन्हें सौभाग्य मिला, फिर वे भारत सरकार में कई मंत्रालय में मंत्री बनते रहे रेलमंत्री के रूप में उन्होंने मिथिला सहित बिहार के विकास के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए वे सम्पूर्ण बिहार में रेल का जाल बिछाने का भरसक प्रयास किया। मिथिला के लोगों की मातृभाषा मैथिली के प्रवल पक्षधर थे मैथिली भाषा को बिना संवैधानिक मान्यता के भी मैथिली भाषा को 1965 में साहित्य अकादमी में स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिए। मिथिला चित्रकला को विश्व पटल पर स्थापित किया वे गरीब बिहारवासियों के सुखमय जीवन के लिए काम करते रहे केंद्र से बिहार में उद्योग लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे सदैब बिहार के विकास के लिए चिंतित रहते थे। वे कुशल प्रशासक एवं नेकदिल इंसान थे। वे मिथिला क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ एवं किसानों के लिए पश्चिमी कोशी नहर परियोजना को लागू करवाने का काम किए वे सच्चे मायने में विकासपुरुष थे उन्होंने ही कहा था " मैं रहूं न रहूं विहार बढ़ कर रहेगा"।
प्रो. झा ने बिहार सरकार एवं केंद्र सरकार से मांग किया है कि मिथिलासपुत स्वर्गीय ललितबाबू को भारत रत्न देकर बिहार सहित मिथिलावासियों के भावना को सम्मान करें।
इस कार्यक्रम में ज्योति रमन झा बाबा, अमानुल्लाह खान,हिमांशु कुमार, ऋषिदेव सिंह,प्रो इश्तियाक अहमद, प्रफुल्ल चन्द्र झा,मो अकील अंजुम, सतेन्द्र पासवान,अशोक प्रसाद, अविनाश झा फ़ैज़ी आर्यन,मो सबीर,मुकेश कुमार झा पप्पू,सुरेंद्र कुमार महतों,रविंद्र पोद्दार,मो अबुबकर,राजीव शेखर झा,मो तश्लीमुद्दीन,महेश्वर झा,लाल मोहम्मद आदि थे।
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