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Friday 4 August 2023

शिशु का पहला वैक्सीन माँ का दूध : डॉ. प्रदीप कुमार

 *शिशु का पहला वैक्सीन मां का दूध होता है - डॉ प्रदीप कुमार*



*नियमित रूप से स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट व ओवरी कैंसर होने की संभावना कम रहती है - खुशबू कुमारी*



*विश्व स्तनपान सप्ताह पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम का थावे (गोपालगंज) में किया गया आयोजन*



गोपालगंज/पटना, 04 अगस्त, 2023



विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पटना एवं क्षेत्रीय कार्यालय छपरा तथा आईसीडीएस गोपालगंज व थावे के संयुक्त तत्वावधान में थावे प्रखंड स्थित सीडीपीओ कार्यालय सभागार में एकदिवसीय विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन गोपालगंज के अनुमंडल पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार, केंद्रीय संचार ब्यूरो, पटना के कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा और थावे प्रखंड की सीडीपीओ अंजू कुमारी ने सम्मिलित रूप से किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर थावे के बीडीओ अजय प्रकाश राव, स्वास्थ्य प्रबंधक खुशबू कुमारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी पुष्पम पुष्पेश, गोपालगंज जिला समन्वयक (आईसीडीएस) ब्रज किशोर सिंह, महिला हेल्पलाइन प्रबंधक नाजिया प्रवीण और सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी अभिषेक सिंह मौजूद थे। मौके पर केंद्रीय संचार ब्यूरो, पटना के सहायक क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी नवल किशोर झा और अमरेंद्र मोहन उपस्थित थे।




कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनुमंडल पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार ने कहा कि शिशु का पहला वैक्सीन मां का दूध होता है इसलिए जन्म के पहले 1 घंटे के भीतर मां का दूध ही नवजात शिशु को पिलाना चाहिए। मां के दूध में कैल्शियम, आयरन प्रोटीन व अन्य आवश्यक पोषक तत्व विद्यमान होते हैं। उन्होंने कहा कि पहला छह माह केवल और केवल मां का दूध शिशु को खिलाना चाहिए। मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह की शुरुआत 1991 में हुआ था और शुरुआत में केवल एक दिन के लिए ही स्तनपान दिवस के रूप में मनाया जा रहा था। लेकिन इसकी आवश्यकता और उद्देश्यों को देखते हुए इसे एक सप्ताह तक मनाने का निर्णय लिया गया और तब से यह हर वर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि स्तनपान को लेकर महिलाओं में कई भ्रांतियां भी है। इसे दूर किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं को 6 माह का मातृत्व अवकाश मिलता है, लेकिन इसके बाद भी महिलाएं 2 वर्षों तक स्तनपान कराती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कार्यस्थल पर ब्रेस्टफीडिंग रूम की आवश्यकता महसूस की गई और उसकी व्यवस्था की दिशा में तेजी से कार्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से महिलाओं को स्तनपान के संबंध में विशेष रूप से जागरूक किया जा रहा है।


केंद्रीय संचार ब्यूरो, पटना के कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि विश्व स्तनपान पर आयोजित विशेष कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिशुवती एवं कामकाजी महिलाओं के बीच स्तनपान को बढ़ावा देने और बच्चों को बीमारी व कुपोषण से बचाने के बारे में उन्हें जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं के बीच स्तनपान को लेकर फैली भ्रांतियों को खत्म करने और स्तनपान की आवश्यकताओं व लाभ के बारे में ग्रामीण स्तर तक की महिलाओं को बताना और उन्हें जागरूक करना है।


थावे प्रखंड की स्वास्थ्य प्रबंधक खुशबू कुमारी कहां की मां और बच्चे का रिश्ता सभी रिश्तो से सबसे बड़ा होता है। इसका सबसे बड़ा कारण स्तनपान ही है। जहां बच्चों से सभी के रिश्ते उसके जन्म के साथ शुरू होता है। वहीं मां का रिश्ता सभी रिश्तों से 9 महीना अधिक होता। उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं के लिए कार्य स्थल पर फीडिंग रूम अवश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने संस्थानों में बोतल फ्री जोन बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्तनपान से न केवल बच्चों की सुरक्षा होती है, बल्कि माता भी कई बीमारियों से सुरक्षित होती हैं। उन्होंने कहा कि स्तनपान करने से ब्रेस्ट कैंसर और ओवरी कैंसर जैसी समस्याओं से महिलाओं को निजात मिलता है। उन्होंने कहा कि एक धात्री महिला के लिए यह सबसे बड़ा लाभ का विषय है। उन्होंने कहा कि स्तनपान करने से गैर संचरण बीमारियों का खतरा बच्चों में 12% कम हो जाता है। वहीं शिशु मृत्यु दर में 20% तक कमी आती है। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसा माहौल बनाना है, जहां महिलाएं कार्यस्थल पर बेझिझक ब्रेस्ट फीडिंग करा सके।



आईसीडीएस गोपालगंज के जिला समन्वयक ब्रजकिशोर सिंह ने कहा कि मां के दूध में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जो बच्चों के लिए बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म से पूर्व और जन्म के बाद सबसे आवश्यक है कि माताओं की काउंसलिंग की जाए ताकि उनमें स्तनपान को लेकर किसी प्रकार की भांति ना हो। उन्होंने कहा कि डब्बा बंद दूध पर भी लिखा होता है कि मां का दूध ही सर्वोत्तम है। उन्होंने कहा कि हमें एक गांव को गोद लेकर और एक लक्षित तरीके से गांव को बोतल फ्री करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है और यह केवल काउंसलिंग से ही संभव है।


महिला हेल्पलाइन गोपालगंज की प्रबंधक नाजिया प्रवीण ने कहा कि महिलाएं सोचती है कि बच्चे को बोतल थमा दो और उसके हाथ में मोबाइल दे दो तो हमारी छुट्टी हो जायेगी। लेकिन यह नहीं जानती हैं कि यह बिल्कुल भी बच्चों के विकास के लिए उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि गांव में स्तनपान को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, जिसे हमें दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम महिलाओं को स्तनपान के प्रति सचेत व जागरूक करने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने बच्चों के लिए पालना गृह और माताओं के लिए फीडिंग रूम एवं चेंजिंग रूम अधिक से अधिक बनाने पर जोर दिया।


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि हमें डब्बा बंद दूध व मदर फीडिंग के बीच में मदर फीडिंग को चुनाव करना चाहिए इससे न केवल बच्चों की सुरक्षा होती है बल्कि माता की भी इससे सुरक्षा होती है। पीरामल स्वास्थ्य गोपालगंज के डीपीएमओ रजनीश कुमार ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं तक सही जानकारी पहुंचाना में यह कार्यक्रम सहायक सिद्ध होगा।


अनुमंडल पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार ने  कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथि गणों सहित आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका तथा प्रवेशिकाओं को स्तनपान सप्ताह शपथ दिलवाई।


कार्यक्रम स्थल पर आज आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं के बीच स्तनपान संबंधी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ली और मौके पर उन्हें अतिथियों के द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। साथ ही कार्यक्रम स्थल पर रंगोली प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।


कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय संचार ब्यूरो, पटना के सहायक क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी अमरेंद्र मोहन ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सीबीसी, पटना के सहायक क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी नवल किशोर झा ने किया।

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