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Tuesday, 28 May 2024

NTEP के कोर कमिटी की बैठक MMCH में हुई

 एनटीईपी के कोर कमिटी की बैठक एमएमसीएच में हुई 






-टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों का एक्सरे कराना अतिआवश्यक

-शरीर के अंदर पनप रहे टीबी के बैक्टीरिया को एक्टिव होने से पहले समाप्त करना पहली प्राथमिकता 




न्यूज़ डेस्क

मधुबनी :28 मई 


भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसको लेकर मधुबनी मेडिकल कॉलेज में एनटीईपी (नेशनल ट्यूबरक्लोसिस एलिमेशन प्रोग्राम ) के कोर कमिटी की बैठक मधुबनी मेडिकल कॉलेज(एमएमसीएच) के कांफ्रेंस हॉल में हुई, जिसमें सभी विभाग के विभागाध्यक्ष सहित अन्य कर्मी सम्मिलित हुए. बैठक मधुबनी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की अध्यक्षता में की गई. बैठक के दौरान डब्लूएचओ कंसलटेंट बिहार डॉ गौरव कुमार ने टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) के बारे में विस्तार से जानकारी दी.बैठक के दौरान मधुबनी मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरीटेंडेंट के द्वारा अस्पताल को टीबी के जांच से संबंधित ट्रू नेट जांच मशीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया, जिस पर विभाग के द्वारा जल्द उपलब्ध करवाने की सहमति दी गई. विदित हो कि मधुबनी मेडिकल कॉलेज में जिले का टीबी केयर सेंटर स्थापित किया गया है. वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में टीबी की जांच व दवा निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चित की गई है.


टीबी मुक्त अभियान में निजी चिकित्सकों की अहम भूमिका:


डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट डॉ. गौरव कुमार ने कहा कि विभाग के द्वारा टीबी मरीजों के घर जाकर उनके साथ रह रहे परिवार के अन्य सदस्यों की कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं। हालांकि वैसे मरीज को चिह्नित करना है, इसके बाद वैसे मरीज को टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) से जोड़ कर उन्हें लगातार 6 महीने तक आइसोनियाजाइद दवा खिलाई जाती है, ताकि लेटेंट टीबी इंफेक्शन को जड़ से समाप्त किया जा सके। उन्होंने बताया प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (पीएमटीपीटी) के तहत लेटेंट टीबी इंफैक्शन वाले मरीज को चिह्नित कर उन्हें टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) से जोड़ा जा रहा है ताकि उनके शरीर के अंदर पनप रहे टीबी के बैक्टीरिया को एक्टिव होने से पहले ही समाप्त कर दिया जाए जिससे आसानी से टीबी फैलाव के चेन को तोड़ने में मदद मिलेगी, जो टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काफी सहायक सिद्ध होगा। इसके साथ-साथ उन्होंने ज़िले के सभी निजी चिकित्सक भी इस मुहिम में शामिल होकर टीबी जैसी बीमारी से बचाव में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का आग्रह किया।


टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों का एक्सरे कराना अतिआवश्यक:

दरभंगा मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरटेंडेंट डॉ. ओमप्रकाश गिरि ने बताया कि टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले 5 वर्ष से ऊपर के बच्चों का एक्सरे कराना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है, क्योंकि टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले लोगों में टीबी संक्रमण की संभावना अधिक होती है. लिहाजा 05 आयु वर्ग के छोटे-छोटे बच्चे को एक्सरे के बाद  चिकित्सकों के द्वारा लिखी गई दवा आइसोनियाजाइद दवा छः महीने तक लगातार खिलाया जाता है। ताकि टीबी संक्रमण का फैलाव जड़ से खत्म किया जाए।


बैठक के दौरान दरभंगा मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरटेंडेंट डॉ. ओमप्रकाश गिरि , दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, डब्लू एचओ कंसलटेंट डॉ गौरव कुमार, सीडीओ डॉक्टर जी एम ठाकुर, डीपीसी पंकज कुमार सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे.

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