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शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

कैंसर संक्रमित मरीज का किया गया फॉलोअप


 कैंसर संक्रमित मरीज का किया गया फॉलोअप


•जिले में आरईसी फाउंडेशन, एनएचएम व परमाणु ऊर्जा विभाग के द्वारा चलायी जा रही है स्क्रीनिंग व जागरूकता अभियान


•जागरूकता ही बचाव का एकमात्र उपाय


मधुबनी,26 फरवरी।

इंसान बीमारी से एक बार, लेकिन इसके खौफ से हर रोज मरता है। उसे लगता है कि जिंदगी अब खत्म हो गई है, लेकिन यह सच नहीं है। हमारे बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने न केवल कैंसर के खिलाफ जंग जीती, बल्कि कई ऐसे मरीजों के लिए सबक बने हैं, जो बीमारी के नाम से घबराकर हौसला छोड़ देते हैं। ये विदेश से महंगा इलाज कराकर आने वाले नहीं, बल्कि आम लोग हैं। एक साल पहले शेखटोली, मंगरौनी, रांटी  निवासी 71 वर्षीय बुजुर्ग को मुंह संबंधी दिक्कतें महसूस हुईं। उन्हें खाने पीने में दिक्कत महसूस होती थी। मरीज का मुंह भी पूरी तरह खुल पाता था सदर अस्पताल में टाटा मेमोरियल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अभिलिप्सा के द्वारा स्क्रीनिंग की गई जहां कैंसर की पुष्टि हुई। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते परिवार वाले इलाज कराने में असमर्थ थे। ऐसे में टाटा मेमोरियल मुजफ्फरपुर में मरीज का कीमोथेरेपी से इलाज किया गया। वर्तमान में मरीज पूर्णतः ठीक है और किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। मरीज का अब सामान्य लोगों की तरह मुंह भी खुलता है। इसी क्रम में शनिवार को डॉ अभिलिप्सा के द्वारा उनके घर जाकर तीसरी बार फॉलोअप किया गया। अभीलिप्सा ने बताया कि बिहार के कुल 16 जिलों में बिहार सरकार, आरईसी फाउंडेशन, नेशनल हेल्थ मिशन और परमाणु ऊर्जा विभाग के साथ कैंसर स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिससे कैंसर को समय पर पहचान करके इससे होने वाली मृत्यु को कम किया जा सकता है। इस प्रोग्राम में 3 तरह के कैंसर की स्क्रीनिंग की जाती है। जो मुख का कैंसर, स्तन कैंसर और गर्भाशय के मुख का कैंसर है। अगर इन तीनों कैंसर का इलाज समय से शुरू हो जाये तो 70 % कैंसर को बिहार से कम कर पाएंगे।


जागरूकता ही बचाव का एकमात्र उपाय:

कैंसर लाइलाज नहीं, बस जागरूकता की कमी से फैल रहा है। शुरुआती चरणों में इस पर काबू करना बेहद आसान है, लेकिन इसकी जांच के लिए बायोप्सी कराना आवश्यक होता है, जिससे लोग डरते हैं। रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी को लेकर गलत धारणाओं से लोग इसके इलाज से बचते हैं। ऐसे में लापरवाही से कैंसर अंतिम चरण में पहुंचकर लाइलाज हो जाता है। डॉ. अभीलिप्सा ने बताया कि शरीर में किसी गांठ, घाव या बीमारी की एक माह से ज्यादा अनदेखी न करें। तुरंत विशेषज्ञ से मिलें और कैंसर की जांच कराएं।


खानपान से बच सकते कैंसर से -

डॉ. अभिलिप्सा ने बताया कि कैंसर से बचना हो तो खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। धूम्रपान, शराब के अधिक सेवन व फास्ट फूड से नुकसान होता है। खानपान से तैयार होनेवाले एंटी ऑक्सीडेंट व फ्री रेडिकल रोकने में मदद मिलती है। कैंसर का उपचार चल रहा हो तो शरीर को प्रोटीन की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। आहार में फायबरयुक्त सामग्री, फल आदि का समावेश होना चाहिए। प्राकृतिक आहार शरीर के लिए लाभदायी होता है। शक्कर का उपयोग और शराब का सेवन कम करना चाहिए। हल्दी, लहसुन, अलसी, अदरक, मेथी, दालचीनी, लाल मिर्च, चक्र फूल आदि में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसलिए इनका सेवन करते रहना चाहिए। किचन में उपलब्ध रहने वाली यह सामग्री काफी लाभदायी हैं।

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