लैंसेट का लेख नागरिकों के बीच घबराहट पैदा करने की एक तरकीब है, जो सच्चाई और जमीनी हकीकत से दूर है : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण पर 24 फरवरी 2022 के लैंसेट के लेख को बहुत ही आश्चर्यजनक और इस संबंध में क्षेत्र से मिले आंकड़ों के विपरीत बताया है। इस लेख में उन बच्चों की संख्या बताई गई है, जिन्होंने कोविड-19 के चलते अपनी देखभाल करने वालों को खो दिया है। लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोविड के कारण 19 लाख से ज्यादा बच्चों ने अपने अभिभावक (प्राथमिक रूप से देखभाल करने वाले को) को खो दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि शोधकर्ताओं ने उन बच्चों की संख्या का, जिन्होंने अपने अभिभावकों को खो दिया है, अनुमान लगाने के लिए उत्तम पद्धति का उपयोग किया लेकिन इन निष्कर्षों का भारत में जमीनी हकीकत (जो जानकारी सीधे क्षेत्र से जुटाई गई) से कोई संबंध नहीं है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से फील्ड डेटा आ रहा है और इसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों और निगरानी में संकलित किया जा रहा है। इसके अनुसार भारत में यह आंकड़ा करीब 1.53 लाख है।
एसएमडब्लूपी संख्या 4/2021 में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे ऐसे हर बच्चे की पहचान करें जिसने कोविड के दौरान महामारी काल की अवधि में किसी भी वजह (कोविड या अन्य) से अपने माता-पिता में से एक या दोनों को खो दिया है या अकेले हो गए हैं। महामारी की अवधि के दौरान माता-पिता की मौत कोविड, प्राकृतिक, अप्राकृतिक या किसी अन्य कारण से हो सकती है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 109 के तहत एक निगरानी प्राधिकरण के रूप में अपने कार्य को आगे बढ़ाते हुए 'बाल स्वराज' नामक एक पोर्टल तैयार किया है, जहां इस डेटा को अपलोड किया गया है। एनसीपीसीआर लगातार उन सभी बच्चों पर नजर रख रहा है जिन्होंने किसी भी वजह से माता-पिता (दोनों या किसी एक) को खो दिया है और 1 अप्रैल 2020 से अकेले हो गए हैं। हर बच्चे के डेटा/सूचना को इकट्ठा करने के बाद उसे सत्यापित किया जाता है जिससे ऐसे सभी बच्चों को उचित देखभाल, सुरक्षा और लाभ प्रदान किया जा सके। अब तक पोर्टल पर 1,53,827 बच्चों का पंजीकरण किया जा चुका है जिनमें से 1,42,949 बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खोया है, 492 बच्चे अकेले हो गए और 10,386 बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है। अनुबंध-1 में 15 फरवरी 2022 की स्थिति के अनुसार इन आंकड़ों का राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के हिसाब से क्षेत्रवार विवरण दिखाया गया है।
सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को ऐसे सभी बच्चों के डेटा पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। एनसीपीसीआर पोर्टल पर दर्ज किए जा रहे डेटा की जांच करता है और नियमित रूप से जिला और राज्य स्तर के अधिकारियों के साथ आवश्यक संवाद स्थापित करता है। माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुपालन में, एनसीपीसीआर नियमित रूप से माननीय न्यायालय को अपडेट करने के लिए हलफनामा दाखिल करता है। आयोग ने बच्चों के कल्याण और भलाई को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों के लिए कुछ सिफारिशें की हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 मई 2021 को उन बच्चों के लिए व्यापक मदद की घोषणा की थी, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के चलते अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है। इस योजना का उद्देश्य निरंतर रूप से, उन बच्चों की व्यापक देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करना है जिन्होंने अपने माता-पिता को कोविड महामारी में खो दिया है। इसके तहत उन बच्चों को स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से उनके कल्याण में मदद करना, शिक्षा के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाना और 23 साल की आयु होने पर वित्तीय सहायता के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाना शामिल है। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम का लाभ उठाने के लिए सभी पात्र बच्चों का 28 फरवरी 2022 तक नामांकन किया जा सकता है। इस योजना में उन सभी बच्चों को शामिल किया गया है जिन्होंने कोविड-19 महामारी के चलते: 1) माता-पिता दोनों या, 2) माता-पिता में से एकमात्र बचे किसी एक को, 3) कानूनी अभिभावक/गोद लेने वाले माता-पिता/गोद लेने वाले माता या पिता को खो दिया है। वे बच्चे इस योजना का लाभ हासिल करने के पात्र होंगे, जिन्होंने 11.03.2020 (इसी दिन डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 को महामारी घोषित किया था) से 28.02.2022 के बीच अपने माता-पिता को खोया है। इस योजना के तहत लाभ पाने के लिए माता-पिता की मृत्यु की तारीख पर बच्चे की आयु 18 वर्ष से कम होनी चाहिए।
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत इन बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, 18 साल की आयु से मासिक वजीफा और 23 साल की आयु होने पर 10 लाख रुपये की धनराशि दी जाएगी। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना का लाभ पाने के लिए अब तक 4196 बच्चों की पहचान कर मंजूरी दी गई है।
अनुबंध-1
उन बच्चों का विवरण, जिन्होंने कोविड या किसी अन्य कारण से अपने माता-पिता या अभिभावक को खो दिया है
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश
अनाथ
एकल अभिभावक
परित्यक्त
कुल
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह
7
267
0
274
आंध्र प्रदेश
418
8445
4
8867
अरुणाचल प्रदेश
41
356
0
397
असम
160
1918
1
2079
बिहार
313
2002
0
2315
चंडीगढ़
12
145
0
157
छत्तीसगढ़
156
318
10
484
दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव
16
312
0
328
दिल्ली
318
6438
1
6757
गोवा
8
76
0
84
गुजरात
1210
13724
0
14934
हरियाणा
127
3582
3
3712
हिमाचल प्रदेश
152
3074
3
3229
जम्मू और कश्मीर
23
637
0
660
झारखंड
141
1319
2
1462
कर्नाटक
573
4512
13
5098
केरल
113
3673
29
3815
लद्दाख
2
112
0
114
लक्षद्वीप
1
71
0
72
मध्य प्रदेश
1794
5509
359
7662
महाराष्ट्र
718
19707
4
20429
मणिपुर
20
261
3
284
मेघालय
18
111
6
135
मिजोरम
13
140
0
153
नगालैंड
9
142
5
156
ओडिशा
1617
24697
4
26318
पुदुचेरी
12
377
0
389
पंजाब
71
1377
0
1448
राजस्थान
714
6098
18
6830
सिक्किम
0
36
0
36
तमिल नाडु
339
11567
2
11908
तेलंगाना
253
2044
1
2298
त्रिपुरा
17
45
1
63
उत्तर प्रदेश
554
9748
15
10317
उत्तराखंड
156
3568
0
3724
पश्चिम बंगाल
290
6541
8
6839
कुल
10386
142949
492
153827
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