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रविवार, 3 अप्रैल 2022

भारतीय संस्कृति और वर्ष प्रतिपदा" विषय पर विचारगोष्ठी आयोजित

 "भारतीय संस्कृति और वर्ष प्रतिपदा" विषय पर विचारगोष्ठी आयोजित




न्यूज़ डेस्क : मधुबनी


 दिनांक 02/04/2022 को विभागाध्यक्ष डा उदय नारायण तिवारी ,प्राचीन भारतीय इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्व विद्यालय, दरभंगा की अध्यक्षता में "भारतीय संस्कृति और वर्षप्रतिपदा" विषयक एक विचार गोष्ठी 'भारत विकास परिषद' दरभंगा और 'प्राचीन भारतीय इतिहास' विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई।


          इस संगोष्ठी का आरंभ "भारत माता" और "स्वामी विवेकानंद" के चित्र पर माल्यार्पन और राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् गान के साथ हुआ। इस संगोष्ठी में स्थानीय भारत विकास परिषद् के अध्यक्ष डा अयोध्या नाथ झा, सचिव श्री दिवाकर कुमार के साथ ही डा० भक्तिनाथ झा, केन्द्रीय पुस्तकालय के निदेशक प्रो दमन कुमार झा, मैथिली में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त डा० विभुति आनंद, श्री जीवछ कुमार और विभागीय शोध-छात्राओं ने इस अवसर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।


भारत विकास परिषद के अध्यक्ष डा. झा ने विषय प्रवेश करते हुए इस तिथि की प्रासंगिकता तथा भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण पक्षों को उद्‌घाटित करते हुए प्राचीन भारतीय कालगणना पद्धति पर भी प्रकाश डाला। डा भक्ति नाथ झा ने हिन्दु संस्कृति में बने संस्कारों के महत्व को रेखांकित करते हुए इसकी वैज्ञानिकता और उसके प्रति चेतना का भाव जगाया। डा दमन कुमार झा ने अपनी स्मिता की रक्षा के लिए पर्व-त्योहारों और सांस्कृतिक एकता में राष्ट्रवादी विचार को अपनाने की आवश्यकता जताई। श्री दिवाकर कुमार ने तिथि के व्यावहारिक पक्ष को उद्घाटित किया। डा विभुति आनंद ने भी इस अवसर पर महत्वपूर्ण विचार रखे। डा स्तुति ने हिन्दु धर्म में प्रतिपदा तिथि के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करते हुए विभिन्न प्रान्तों में इसके आयोजन पर प्रकाश डाला। शोधछात्र गिरीन्द्र मोहन ने संस्कृति पर भूगोल के प्रभाव और प्रकृति से समन्वय का समय इस तिथि को माना| श्री प्रभाकर चौधरी ने इस आयोजन को प्रासंगिक बताया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डा० उदय नारायण तिवारी ने इसे सांस्कृतिक चेतना का एक सुन्दर उदाहरण बताया साथ ही इसके लिए भारत विकास परिषद को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर उन्होंने स्वामी विवेकानन्द के विचारों को अपनाने की बात कही।


         इस अवसर पर शोधार्थी मुरारी कुमार झा ने विभाग में इस तरह के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का नियमित आयोजन किया जाय इसकी आवश्यकता जताई। शोध छात्रा पुष्पांजली कुमारी ने सांस्कृतिक चेतना हेतु भारतीय संस्कृति के इस पर्व को चढ़कर मनाने का संदेश दिया। गोविंद नारायण झा ने भी अपना विचार रखा। धन्यवाद ज्ञापन अतिथि शिक्षिका डा० प्रतिभा किरण ने किया।


          इस अवसर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पूर्णिमा कुमारी, प्रगति झा, श्रेयषी सिंह, कंचन कुमारी, सुष्मिता कुमारी, स्वेता भारती, अंजू कुमारी, सौरव कुमार, राजा अंबेडकर,  गौतम प्रकाश, नवनीत नवीन, गोपालजी मिश्र, विकास कुमार, कृष्ण कुमार, गोविंद जायसवाल एवं अन्य कई शामिल हुए।

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