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Monday 2 May 2022

राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर माँ अन्नपूर्णा महिला मंच द्वारा दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों का किया गया सम्मान

 राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर माँ अन्नपूर्णा महिला मंच द्वारा दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों का किया गया सम्मान





किसी ने खूब कहा कि 'दोनों मजदूर चल पड़े है अपने-अपने काम पर, एक गम्छा डालकर दूसरा लैपटॉप टांगकर।'

जी हां, हर वह इंसान जो अपना पेट पालने के लिए काम करता है, वह मजदूर होता है। फिर चाहे वह नंगे पैर चले या बीएमडब्ल्यू कार से। देश के विकास में वहां के मजदूरों का सबसे बड़ा योगदान होता है, क्योंकि देश को बनाने की नींव यही मजदूर रखता है। इन्हीं को सम्मान देने के लिए हर साल 1 मई को श्रमिक दिवस  मनाया जाता है। जिसे लेबर डे, मई डे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का मकसद ना केवल मजदूरों को सम्मान देना है, बल्कि उनके अधिकारों के प्रति आवाज को बुलंद करना और उन्हें उनके सभी अधिकार देना भी है।आज मधुबनी जिले के जयनगर में अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर माँ अन्नपूर्णा महिला मंच,जयनगर के द्वारा पटना गद्दी रोड अवस्थित माँ अन्नपूर्णा कम्युनिटी किचन परिसर में दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों के बीच शीतल तैल तथा ओआरएस पाउडर का वितरण किया गया, साथ ही मिथिला परंपरा अनुसार पाग, दोपट्टा से उनका सम्मान भी किया गया।

ज्ञातब्य हो कि माँ अन्नपूर्णा महिला मंच, जयनगर द्वारा समाज के हर तबके को सम्मान देने का कार्य निरंतर किया जाता रहा है।

इस मौके पर संस्था की अध्यक्षा मुस्कान शर्मा ने बताया कि भीषण गर्मी को देखते हुए माँ अन्नपूर्णा महिला मंच,जयनगर द्वारा मजदूर भाइयों को सम्मान करने के साथ ही भीषण गर्मी के बीच ठंडा तैल तथा ओआरएस पाउडर का वितरण किया गया है। दैनिक मजदूरों की सहायता के लिए हमारी संस्था द्वारा एक छोटा सा प्रयास किया गया है।

जयनगर के महावीर चौक के पास रोज सुबह सुरेका अतिथि भवन के समीप सैंकड़ो की संख्या में मजदूर अपनी रोजी-रोटी के लिए जमा होते है। ये हम सब का दायित्व है, कि इनका सम्मान किया जाय।

वहीं संस्था की संरक्षक सह दुल्लीपट्टी मुखिया रूपम कुमारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस प्रत्येक वर्ष 1 मई को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर के मजदूरों के लिए समर्पित होता है। इस दिन विश्व के प्रत्येक देशों में मजदूरों के हित संबंधित तमाम योजनाओं को क्रियान्वित करने की योजना बनाई जाती है। इसी कारण से आज इन मजदूरों को हमने मिथिला परंपरा अनुसार सम्मान कर इनको उचित मान दिया है।

वहीं, संस्था की सचिव सबिता देवी ने कहा कि देश के विकास में वहां के मजदूरों का सबसे बड़ा योगदान होता है, क्योंकि देश को बनाने की नींव यही मजदूर रखता है। इन्हीं को सम्मान देने के लिए हर साल 1 मई को श्रमिक दिवस मनाया जाता है। वहीं, संस्था की कामिनी साह ने बताया कि इस दिन का मकसद ना केवल मजदूरों को सम्मान देना है, बल्कि उनके अधिकारों के प्रति आवाज को बुलंद करना और उन्हें उनके सभी अधिकार देना भी है। मगर हम जब गौर करते है, मजदूर शब्द पर तो हमें एक मजबूरी झलकती नजर आती है। ठीक वैसे ही सबसे अधिक मेहनत करने वाला मजदूर आज भी सबसे अधिक बदहाल स्थिति में है।

वहीं, संस्था की सदस्या अनिता गुप्ता ने कहा कि आजादी के इतने सालो में भले ही देश में बहुत कुछ बदल गया होगा। अपनी शर्तों को मनवाने के लिए मजदूरों को आज भी विरोध, हड़ताल और मार्च करना पड़ता है। मगर ये सब करने के बाद भी नाम मात्र कुछ मदद मिल पाती है, तो कभी-कभी उन्हें कोई मदद भी नहीं मिलती और अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ जाता है। अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिए कुछ मजदूर आवाज भी नहीं उठाते, और मालिकों द्वारा किए जा रहे मनमानी को मानते हुए काम करते रह जाते हैं।

वहीं, माँ अन्नपूर्णा कम्युनिटी किचन,जयनगर के उपाध्यक्ष लक्ष्मण यादव ने बताया कि दुनिया में एक भी ऐसा देश नहीं है, जहां मजदूरों की स्थिति में सुधार हो पाया है। दुनिया के सभी देशों की सरकार मजदूरों के हित के लिए बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करती हैं, मगर जब उनकी भलाई के लिए कुछ करने का समय आता है, तो सभी पीछे हट जाती है। इसीलिए मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो पाता है, और इसी तरह भारत में भी मजदूरों की स्थिति बेहतर नहीं है। हमारे देश की सरकार भी मजदूर हितों के लिए बहुत बातें करती है, बहुत सी योजनाएं व कानून बनाती है। मगर जब उनको अमलीजामा पहनाने का समय आता है, तो सब इधर-उधर देखने लग जाते हैं।

वहीं, माँ अनापूर्ण सेवा समिति के मुख्य संयोजक अमित कुमार राउत ने बताया कि हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस श्रमिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने और श्रमिकों के शोषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है, उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जगाना होता है। मगर आज तक ऐसा हो नहीं पाया है। हमारे देश का मजदूर वर्ग आज भी अत्यंत ही दयनीय स्थिति में रह रहा है। उनको न तो मालिकों द्वारा किए गए कार्य की पूरी मजदूरी दी जाती है, और ना ही अन्य वांछित सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है। मगर इसको अपनी नियति मान कर पूरी मेहनत से अपने मालिकों के यहां काम करने वाले मजदूरों के प्रति मालिकों के मन में जरा भी सहानुभूति के भाव नहीं रहती हैं। उनसे 12-12 घंटे लगातार काम करवाया जाता है। कारखानो में कार्यरत मजदूरों से निर्धारित समय से अधिक काम लिया जाता है, विरोध करने पर काम से हटाने की धमकी दी जाती है।

इस मौके पर संस्था के डॉ० सुनील कुमार राउत, प्रवीर महासेठ, उपेन्द्र नायक, मनोज सिंह, सुरेन्द्र महतो, गणेश कांस्यकार, गोविंद जोशी, संजय महतो, हरेराम चौधरी, सचिन सिंह, विकास चंद्रा, राहुल महतो,  गौरव जोशी, गौरव सिन्हा, रामजी गुप्ता, प्रथम कुमार, हर्ष महतो, विवेक सूरी, मिथिलेश महतो, अंकित कुमार, संतोष शर्मा, पप्पू पूर्वे, मनीष गुप्ता, नीतीश सिंह, विक्की साह, सुमित कुमार राउत एवं अन्य कई सदस्य मौजूद रहे।

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