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Wednesday 12 October 2022

दीपा मिश्र : "वाची" से "अर्घ" तक

 दीपा मिश्र : "वाची" से "अर्घ" का सफर


रिपोर्ट : उदय कुमार झा


मधुबनी : महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह महाविद्यालय, सरिसब के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं एनसीसी कंपनी कमाण्डर मे. डॉ. सदन मिश्र की पोती एवं हिन्दी साहित्य में डी.लिट् एवं उत्तरप्रदेश से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अजय मिश्र की बड़ी बेटी दीपा का जब जन्म हुआ था तो मक्खन की गुड़िया सी कोमल दिखती थी । अपने दादा की गोदी में घूमती बार्बी डॉल सी दिखनेवाली दीपा सबका मन बचपन में ही बालसुलभ क्रीड़ा से मोह लेती थी । जब धीरे-धीरे वह बड़ी होने लगी तो उसके संस्कारों को दादा सदन मिश्र एवं पिता अजय मिश्र ने तरासा और होनहार बनाया । बचपन से ही मेधावी रही दीपा को अपनी मिट्टी-पानी से लगाव रहा । मातृभाषा मैथिली के प्रति उसका लगाव बना रहा । शादी के बाद ससुराल जाने और दो पुत्ररत्नों की प्राप्ति के बाद भी दीपा अपनी मातृभाषा मैथिली से दिल से जुड़ी रही और इसमें दीपा का साथ दिया सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म फेसबुक ने । "नव मिथिला नव मैथिली" नामक समूह द्वारा दीपा की कारयित्री एवं भावयित्री प्रतिभा मैथिल समाज के सामने आई । इसके माध्यम से मिथिला की नारीशक्ति को दीपा ने एक सूत्र में पिरोया और जो मैथिल महिलाएँ प्रतिभावान होने के बावजूद घरों में अपनी प्रतिभा को सुषुप्त अवस्था में रखती थी, उसे जगा दी और मानसिक रूप से उन महिलाओं को इतनी मजबूती प्रदान की कि वे महिलाएँ रचनात्मक कार्यों में खुलकर सामने आने लगी ; कविता, कहानियाँ, गीत-संगीत, लोककला आदि के बारे में खुलकर लिखने लगी । दीपा जैसी हिम्मती महिला का दिशा-निर्देश उन महिलाओं को मिलता गया और वे लेखिका, कवयित्री, कलाकार बनती चली गई । फेसबुक पर रचनात्मक कार्यों का इससे बड़ा उदाहरण मैथिल महिलाओं के लिए और क्या होगा कि बातों-बातों में ही दीपा मिश्र ने उनसब को अपनी रचनाओं को प्रकाशित करवाने की सलाह दी और सभी महिलाओं ने अपनी रचनाएँ दीपा को भेजी । दीपा ने अविलम्ब सभी रचनाओं को सही तरीके से सजाकर, सम्पादित कर "वाची" नामक पुस्तक को प्रकाशित करवाकर एक बड़ा काम साहित्यिक क्षेत्र में कर दी । वाची के प्रकाशन के बाद जिन महिलाओं को दीपा की प्रतिभा पर कहीं भी संशय था, वह दूर हो गया और दीपा की तारीफ चहुँओर होने लगी । 

        "वाची" के प्रकाशन के बाद श्रीमती दीपा मिश्र न तो थकी और न ही रुकी , अपितु और तीव्र गति से मैथिली की सेवा में लग गई ।  इस बीच एक जानकारी और दे दूँ कि दीपा एक कुशल गृहिणी के साथ एक बहुत ही कुशल माँ भी है जिसके दोनों बेटे IIT में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं । 

          कुछ समय पूर्व दीपा ने अपने दम पर यह निर्णय ली कि सरिसब-पाही स्थित एमएलएस कॉलेज के परिसर में वह मैथिली साहित्य, कला एवं रंगमंच से संबंधित विद्वानों एवं विदुषियों को बुलाएगी मैथिली साहित्य के विविध विधाओं पर चर्चा होगी । इस कार्यक्रम का नाम दिया गया - "अर्घ" । तारीख तय हुई - 09 से 11 अक्टूबर,2022 । मौसम के प्रभाव को देखते हुए इस कार्यक्रम को दरभंगा जिलान्तर्गत मनीगाछी प्रखण्ड के भटपुरा गाँव स्थित विवाह भवन के सभागार में आयोजित किया गया । कई सत्रों में आयोजित इस विशाल कार्यक्रम में मैथिली साहित्य,कला एवं रंगमंच की नामचीन हस्तियाँ शामिल हुई जिनमें डॉ. भीमनाथ झा, कथाकार अशोक, नीरजा रेणु, डॉ. सदानन्द झा, डॉ. विजय मिश्र,डॉ. रमानन्द झा 'रमण', डॉ. सुनीता झा, श्रीमती माधुरी मिश्र, डॉ. प्रेमलता मिश्र, शिवशंकर 'श्रीनिवास' सहित कई लोग थे । साहित्यिक भाषणों के अतिरिक्त लोकनृत्य, कवि सम्मेलन आदि का आयोजन भी किया गया जिससे कि आगत अतिथियों का मनोरंजन हो सके ।। साथ ही मिथिला में प्रचलित लोककलाओं ; यथा - मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला, पीतल  से बने विभिन्न कलात्मक वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लोगों का मन मोह रही थी । 

 इस कार्यक्रम में खासियत यह भी रही कि दीपा ने किसी से मैथिली कार्यक्रम के नामपर कभी कोई चन्दा नहीं ली और सारा भार स्वयं वहन की । हाँ, एक बात अवश्य देखी गई कि सरिसब-पाही स्थित "अयाची नगर युवा संगठन" के सदस्य अपने टीम लीडर विक्की मण्डल के नेतृत्त्व में पूरी तरह मुस्तैद थे । आदित्य मण्डल, कौशल मैथिल सहित सभी युवा दीपा के कदम से कदम मिलाकर लगातार चल रहे थे जिससे कि अतिथियों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े । इन युवाओं के कंधों पर दीपा ने कार्यक्रम को सफल बनाने का जो भार दिया, उसमें सभी सफल हुए । किसी एक मैथिल नारी की संकल्पशक्ति की बात अगर होगी तो उसमें श्रीमती दीपा मिश्र का नाम सदा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा ।


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