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रविवार, 22 अक्टूबर 2023

अनुकरणीय है गंधवारि की दुर्गापूजा समिति : तंत्रोक्त एवं वेदोक्त विधि से होती पूजा

 अनुकरणीय है गंधवारि की दुर्गापूजा समिति : तंत्रोक्त एवं वेदोक्त विधि के सम्मिश्रण से होती माँ दुर्गा की पूजा



रिपोर्ट : उदय कुमार झा


मधुबनी : 22:10:2023



रहिका प्रखण्ड स्थित गंधवारि गाँव में महामारी जैसी आपदाओं के शांत्यर्थ भारत के स्वाधीन होते ही यहाँ के प्रबुद्ध वर्ग के लोग  ; यथा- स्व.जगन्नाथ बाबू, स्व.अनिरुद्ध बाबू, स्व.शिवनन्दन बाबू, स्व.सुभद्र बाबू सहित ग्रामवासियों ने गंधवारि में दुर्गापूजा करने का निर्णय लिया । दरभंगा के महाराज के यहाँ जिस पूजा पद्धति से माँ की पूजा होती थी, उसी पूजा पद्धति का अनुसरण किया गया । पंडित आद्या बाबू द्वारा लिखित तंत्रोक्त एवं वेदोक्त विधि के समायोजन से बनी पूजा पद्धति से अभी पूजा की जा रही है । गाँव के लोगों की एक पूजा समिति बनी है, जिसके सचिव पूर्व मुखिया काशीकांत ठाकुर हैं । उन्होंने बताया कि दुर्गापूजा समिति का उद्देश्य है माँ दुर्गा की पूजा सविधि, शांतिपूर्ण और अच्छे तरीके से हो । साथ ही, यहाँ का विकास भी दुर्गापूजा समिति के एजेंडा में शामिल है । दुर्गापूजा भव्य रूप से करवाने के साथ ही इस समिति ने अबतक विद्यालय के लिए दो कोठरियों का निर्माण, यज्ञमण्डप का निर्माण, दुर्गेश्वरनाथ शिवमंदिर का निर्माण, नाट्यशाला , स्नानघाट आदि का निर्माण एवं टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना का उल्लेखनीय और अनुकरणीय काम किया है । 

 गंधवारि की दुर्गापूजा में एक विशेष बात यह भी है कि यहाँ प्रतिपदा तिथि से कपाट खुला रहता है और भक्तों को माँ की भव्य मूर्त्ति का दर्शन पहले दिन से करने का सौभाग्य मिलता है । दुर्गापूजा में सामान्यतः सप्तमी  तिथि को नेत्रप्रदान करने के साथ ही पट खुलता है, किन्तु यहाँ पहले दिन से पट खुला रहता है और बेलतोड़ी के पश्चात नेत्रप्रदान करते समय थोड़ी देर के लिए ही पर्दा लगाया जाता है । इसका रहस्योद्घाटन करते हुए पण्डित कमलेश झा ने कहा कि जब हमसब माँ की ही संतान हैं, तो फिर उनसे पर्दा क्या ? दूसरी बात कि अगर मूर्त्ति में प्राण-प्रतिष्ठा नहीं है, तब भी पर्दा की जरूरत नहीं । केवल नेत्रप्रदान करते समय माँ के आगे पर्दा लगाया जाता है और तत्पश्चात फिर दर्शन सर्वसुलभ हो जाता है । कुशेश्वर स्थान में भी पर्दा नहीं लगाया जाता है । अतः प्रारम्भ से ही यहाँ प्रतिपदा तिथि से माँ दुर्गा की मूर्त्ति का दर्शन आगंतुक श्रद्धालु करते आ रहे हैं । 

मन्दिर परिसर में यज्ञ मंडप और नाट्यशाला शोभायमान है । शिवमंदिर और हनुमान मन्दिर बगल में ही दृष्टिगोचर हैं । साथ ही एक विशाल और सुंदर तालाब के किनारे माँ दुर्गा मंदिर स्थापित है और स्वाभाविक रूप से यहाँ की छटा देखते ही बनती है । दुर्गापूजा में मधुबनी और दरभंगा ज़िले से नित्य हज़ारों श्रद्धालु यहाँ पहुँचते हैं । माता जागरण का कार्यक्रम नाट्यशाला में चलता रहता है ।

    वस्तुतः कई जगहों पर जहाँ दुर्गापूजा समितियाँ केवल दुर्गापूजा के अवसर पर ही सक्रिय रहती हैं, वहीं यहाँ की समिति सालों भर इस स्थान के विकास के कार्यों में सक्रिय रहकर समाज के प्रति अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करती है, जो दूसरों के लिए अनुकरणीय है ।

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