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Friday, 29 December 2023

"मैं और मेरा बचपन" की बेहतरीन प्रस्तुति से दरभंगा रंग महोत्सव का दूसरा दिन रहा गुलज़

 "मैं और मेरा बचपन" की बेहतरीन प्रस्तुति से "2nd दरभंगा रंग महोत्सव"  का दूसरा दिन गुलजार रहा




न्यूज़ डेस्क : मधुबनी

29:12:2023





 दरभंगा के मैथिली साहित्य परिषद के दिग्गी पश्चिम में चल रहे तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव में कई बेहतरीन प्रस्तुति हुई ।आज के अतिथि के रूप मे हमारे बीच ऋषिकेश कुमार (MPSD/NSD Tie) , नारायण जी चौधरी( मैथिली साहित्य परिषद कार्यकर्ता), हेमेंद्र लाभ,

डॉ. प्रेम मोहन मिश्रा( H.O.D / dean ) Dept. Of chemistry उपस्थित रहे।कार्यक्रम की शुरुआत में गंधर्व बैंड की तरफ से सूफ़ी संगीत की प्रस्तुति की गई। प्रस्तुति में सिंगर, शिवम पोद्दार, विकी सुमन और उनके साथ संगत कलाकार के रूप में, अनिश कुमार, चंद्र मणि झा, अभिषेक कर्ण, परमवीर प्रताप सिंह साथ ही डांस अड्डा टीम की तरफ से नृत्य कजरी की प्रस्तुति की गई जिसके निर्देशक प्रेम सिंघानिया थे। 


ग्रुप में कजरी नृत्य में मंच पर प्रिया भास्कर, ऋतु कुमारी, पिंकी कुमारी,  सौम्या कुमारी, प्रिया भास्कर, रुचि कुमारी ने शानदार प्रस्तुति दी। 

 "2nd दरभंगा रंग महोत्सव" में दूसरे दिन बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी, बेगूसराय द्वारा 

नाटक "मैं और मेरा बचपन" की प्रस्तुति की गई।  जिसका निर्देशन सिकंदर कुमार(NSD) और ऋषिकेश कुमार(MPSD/NSD tie ) ने किया। 

नाटक में ये दिखाया गया की आज के समय में कैसे बच्चों पर मोबाइल  का दुष्प्रभाव पर रहा है, कैसे पचास पहले अपने साथियों के साथ बच्चें झूमा करते थे लेकिन जब से मोबाइल आया है तब से हम सब का बचपन ही सिमट कर इसमें आ गया है। जहां पहले बच्चें अपनी दादी नानी से कहानी सुनते थे वहीं आज के समय में बच्चे, युवा यहां तक कि बुर्जुग भी सिर्फ़ फ़ोन या मैसेज में न रहकर व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, फ्री फायर अन्य तरह के मोबाइल गेम में फंस चुके हैं, जब कि पहले एक साथ डाक घर से चिट्ठी आई, कौआ उड़, घो–घो रानी और कब्बड्डी जैसे खेलों में उछल पड़ते थे। जैसे किसी तोते को लोग पिंजरे में बंद करके रखते हैं ठीक उसी प्रकार  इस मोबाइल फ़ोन ने हम सभी इंसानों को अपनी मुठ्ठी में कैद करके रखा है , जिसका परिणाम यह है कि  बच्चों का बचपन ही छिन गया है जिससे बच्चे अलग–अलग दिशा में भटकने लगते हैं,  लेकिन अंत में हमें फिर से वही पुराना खेल कब्बड्डी और पेड़ की छांव में ही सुकून मिलता है। नाटक के लेखक और निर्देशक ये समझाने में सफल रहे की कैसे हम इस मोबाइल फोन का सदुपयोग करके हम अपने आने वाले पीढ़ी को बच्चा सकते हैं। नाटक में इन कलाकारों ने निभाया अहम भूमिका - (सूत्रधार)कुणाल कुमार,

(हवा मिठाई वाला)आकाश कुमार,( मां ) पूर्णिमा कुमारी, (पिता)विजेन्द्र कुमार , (बेटा)राजेश कुमार, (बेटी)आरुषि कुमारी, (फ्री फायर)धर्मवीर कुमार, (पब्जी)ऋषि कुमार, (इंस्टाग्राम)सौरभ कुमार, (फेसबुक)ऋषि कुमार, (बंगा रूई वाला)शिवम कुमार, (शिक्षक)रोहित कुमार,( विद्यार्थी)प्रियंका, ऋषभ, अंकित,आयुष, रिया, कंचन,आर्यन इत्यादि बच्चों ने अहम भूमिका निभाई।


महोत्सव में मंच संचालन निकिता कुमारी और शिवम कुमार ने किया। महोत्सव को सफल बनाने में कलर व्हील संस्था के सचिव सह फेस्टिवल डायरेक्टर श्याम कुमार सहनी(NSD) और सदस्य निकिता कुमारी(Festival coordinator), विक्रम ठाकुर(Technical Incharge), नीतीश कुमार(Decoration incharge), रौशन कुमार( Food Incharge), मुकेश पोद्दार ( food incharge), विशाल कुमार ( food incharge), शिवम कुमार ( decoration incharge), मोहन प्रजापति,  रौशन राज, रवि वर्मा,प्रशांत राणा, अमरजी राय, मोहन कुमार 

गौरी ने पूरा कार्यक्रम बखूबी सम्भाला।

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