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Friday 5 January 2024

मधुबनी ज़िले में टीबी मरीजों की संख्या में भारी इज़ाफ़ा

 एनटीपीई कार्यक्रम के तहत आयोजित हुई मासिक समीक्षा बैठक 



 जिले में टीबी के मरीजों की संख्या में भारी इजाफा 


 - जनवरी से दिसंबर तक 6856 मरीज टीबी के मरीज चिह्नित



साभार : सुमित कुमार राउत

मधुबनी





प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक पूरे देश से टीबी जैसी संक्रामक बीमारी का उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। इसी के मद्देनजर एएनएम सभागार में मासिक समीक्षा बैठक हुई।

बैठक के दौरान सीडीओ डॉ. जी.एम. ठाकुर ने बताया कि सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से टीबी मरीजों की लगातार पर्यवेक्षण/निगरानी कर रहा है। उन्होंने बताया जिले में वर्ष 2023 में 6856 नए टीबी मरीजों की पहचान की गई है। जिले में टीबी मरीज़ों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण यह भी है कि अधिकतर मरीज बीच में ही इलाज एवं नियमित रूप से दवा का सेवन करना छोड़ देते हैं। इसीलिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत मरीजों को गोद लिया जाता है, जिसके लिए सरकार और विभाग अपने स्तर से पूरी तरह से प्रयासरत है। लेकिन अब एक दूसरे को जागरूक होने की आवश्यकता है, ताकि टीबी के खिलाफ लड़ाई में आसानी से विजय प्राप्त कर सकते हैं। बैठक के दौरान उन्होंने बताया सभी एसटीएस,एसटीएलएल को टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष रणनीति के तहत कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया प्रत्येक एक लाख की जनसंख्या पर कम से कम 3000 लोगों की जांच करना अनिवार्य है।





वर्ष 2023 में 6856 टीबी मरीज हुए चिह्नित :


विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक 6856 टीबी की मरीज चिह्नित किए गए हैं। जिसमें अंधराठारी से 121, बाबूबरही से 137, बासोपट्टी में 124, बेनीपट्टी 672, विस्फी 139, घोघरडीहा 71, हरलाखी 132, जयनगर 511, झंझारपुर 533, कलुआही 56, खजौली 113, खुटौना 157, लदनियां 150, लखनौर 678, लौकही 50, मधेपुर 283, मधुबनी सदर में 2210, माधवपुर में 119, पंडोल  में 372, फुलपरास में 99, व राजनगर में 159 टीबी के मरीज चिन्हित किए गए हैं। वहीं जिले में एमडीआर टीबी के 260 मरीज चिन्हित किया गया है। एमडीआर के मरीजों का उपचार 9 माह से 2 साल तक चलता है।




सरकारी अस्पताल में ही कराएं अपने टीबी का इलाज़ : सीडीओ


डीपीसी पंकज कुमार ने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी इलाज से लेकर जांच तक की व्यवस्था बिल्कुल निःशुल्क है। सबसे ख़ास बात यह है कि दवाओं के साथ टीबी के मरीज को पौष्टिक आहार के लिए पांच सौ रुपये प्रतिमाह सहायता राशि भी दी जाती है। इसके बावजूद देखा जा रहा है कि कुछ लोग इलाज कराने के लिए बड़े-बड़े निजी अस्पतालों या फिर बड़े शहर की ओर रुख कर जाते हैं। हालांकि फिर वहां से निराश होकर संबंधित जिले के सरकारी अस्पतालों की शरण में ही आना पड़ता है। आपको जैसे ही टीबी के बारे में पता चलता है तो सबसे पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल जाकर जांच कराएं। जिले में अब टीबी के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था की जाती है।

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