फाइलेरिया उन्मूलन : जिले में नाइट ब्लड सर्वे की हुई शुरुआत
-शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात में होते हैं सक्रिय
-संभावित रोगियों का पता लगाने का उचित माध्यम है नाइट ब्लड सर्वे
न्यूज़ डेस्क :मधुबनी
06:07:2024
मधुबनी जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत शुक्रवार को अर्बन क्षेत्र के अपग्रेड मिडिल स्कूल रांटी में की गई जिसका उद्घाटन एसीएमओ डॉ आर के सिंह ने की। डॉक्टर सिंह ने बताया जिले के विभिन्न प्रखंड व नगरीय क्षेत्र में कुल 8 सेशन साइट बनाये गये हैं। सभी सेशन साइट पर प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियन के साथ अन्य स्वास्थ्य कर्मी प्रतिनियुक्त किये गये हैं। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डी. एस. सिंह ने बताया संभावित मरीजों का पता लगाने के लिहाज से सर्वे बेहद महत्वपूर्ण है। शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का उचित माध्यम है। डॉ. सिंह ने बताया प्रत्येक प्रखंड के दो सत्रों का चुनाव किया गया है जहां से 300 - 300 साइड रक्त के नमूने संग्रह किया जाएगा यह सर्वे रात में 8:30 के बाद 20 वर्ष से ऊपर के लोगों के रक्त के नमूने लिया जाएगा दोनों सत्र स्थल में से किसी एक स्थल में माइक्रोफाइलेरिया का दर 1 या 1 से अधिक होगा तो उस प्रखंड में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जाएगा अगर माइक्रोफाइलेरिया का दर एक से कम होगा तो वहां एमडीए अभियान नहीं चलाया जाएगा फिर अभियान के बाद उक्त प्रखंड में माइक्रोफाइलेरिया का प्रसार है या नहीं उसका सत्यता की जांच के लिए प्री - टास्क किया जाएगा नाइट ब्लड सर्वे एमडीए राउंड से 1 या डेढ़ माह पूर्व व अभियान खत्म होने के 6 माह बाद किया जाता है एक महीना पूर्व करने का तात्पर्य है लोगों में माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण है या नहीं उस जगह का चुनाव करने के लिए करते हैं 6 माह के बाद एमडीए राउंड का प्रभाव कितना हुआ यह देखने के लिए किया जाता है।
रात्रि रक्तपत संग्रह के लिए चयनित स्थलों की सूची:
रात्रि रक्तपत संग्रह के लिए सदर में 2 सत्र स्थल तथा प्रत्येक प्रखंडों में 2 सत्र स्थल बनाए गए हैं जिसमें एक रैंडम तथा दूसरा फिक्स साइड बनाया गया है जिसके तहत शहरी क्षेत्र के रांटी व बड़ा बाजार , पंडोल के श्रीपुरहाटी व शाहपुर, बेनीपट्टी के तीसियाही व ढंगा, बिस्फी के उत्तराही वह घाटबत्रा को शामिल किया गया है।
ब्लड जांच कराने से होने से पहले रोका जा सकता है फाइलेरिया :
फाइलेरिया ग्रसित होने की पहचान संबंधित लोगों को पांच से दस साल बाद पता चलता है जब संबंधित व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया कीटाणु बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध हो जाता है। फिर ऐसे मरीजों को नियंत्रित रखने के लिए मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जाती है लेकिन उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित नहीं किया जा सकता। शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु रात में ही एक्टिव अवस्था में रहता है। इस समय जांच करवाने से उनके शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है। नाईट ब्लड सर्वे में जांच करवाने पर संबंधित व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु के उपलब्ध होने की जानकारी शुरुआत में ही हो जाती है जिसके बाद उन्हें तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराते हुए फाइलेरिया से सुरक्षित किया जा सकता है। इसकी पहचान के लिए सभी सेंटिनल और रेंडम क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को भाग लेकर उनके शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया के उपस्थित होने की जानकारी लेना चाहिए। ऐसा करने से संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रहेंगे।
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