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सोमवार, 12 मई 2025

एकता और आपसी सहयोग के नित नए आयाम पेश कर रहे एनसीसी कैडेट

 एकता और आपसी सहयोग के नित नए आयाम पेश कर रहे एनसीसी कैडेट








रिपोर्ट : उदय कुमार झा

मधुबनी : 12:05:2025




कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है । जब किसी चीज़ की आवश्यकता होती है और वह समय पर नहीं मिलती तो वहीं से उसके आविष्कार की कहानी शुरू हो जाती है । यही बात पिछले कुछ समय से एनसीसी ग्रुप, मुज़फ़्फ़रपुर के कैडेटों में देखने को मिल रही । 

    बात शुरू होती है अप्रैल-मई, 2024 ई.से । जयनगर के एक एनसीसी कैडेट के परिजन की तबीयत खराब हो गई और अचानक खून की जरूरत हुई । एक परिचित के माध्यम से उसने रक्तदाताओं के एक निजी संगठन से मदद माँगी । पहले तो उस संगठन के संचालक ने हॉस्पिटल का लिखा पर्चा माँगा । पर्चा उपलब्ध करवाने के बाद कुछ समय पश्चात उसने कैडेट का फोन उठाना ही छोड़ दिया । समय पर खून न मिलने की वजह और निजी संगठन के रक्तदाता के असहयोग के कारण उसे भारी परेशानी का सामना करना पड़ा । कुछ दिनों के बाद दूसरे कैडेट को फिर अपने परिजन के लिए खून की जरूरत हुई । उसने फिर एक दूसरे रक्तदाता संगठन संचालक से मदद माँगी, लेकिन बदले में फिर वही ढाक के तीन पात । फलस्वरूप, उसने किसी तरह दूसरे लोगों का सहयोग लेते हुए एक यूनिट रक्त की व्यवस्था कर अपने परिजन की जान बचाई । उसके बाद मुज़फ़्फ़रपुर ग्रुप के एनसीसी कैडेट, जिसमें मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, मुज़फ़्फ़रपुर, छपरा और मोतिहारी स्थित एनसीसी बटालियनों के कैडेट शामिल हैं, अब एक मंच पर आकर एक दूसरे को जरूरत के समय अहर्निश मदद करने लगे हैं । इसमें एनसीसी अफसरों की भी अच्छी भूमिका रही है । 


    रक्त के अभाव में अपने परिजनों को तड़पते देख चुके कैडेटों ने रक्तदान करना शुरू कर दिया । पिछले नवंबर में एनसीसी दिवस के अवसर पर हुए कार्यक्रमों में एनसीसी कैडेटों ने अच्छी संख्या में रक्तदान किया । केवल मधुबनी में ही आर.के.कॉलेज के कैडेटों - राघवेंद्र ठाकुर, शहनाज खातून, शिवानी, चाँदनी, रानी, मनीषा सहित कई कैडेटों ने रक्तदान किया । इसी प्रकार, डी.बी.कॉलेज, जयनगर में तत्कालीन सीटीओ डॉ. संजय पासवान, यूसुफ अंसारी, लक्ष्मण, विजय, मइशा, धीरज, शिवम सहित 20-25  कैडेटों ने रक्तदान किया । रक्तदान के पश्चात मिले डोनर कार्ड से ये रक्तवीर कैडेट अबतक कई जरूरतमंदों की जान बचा चुके हैं । दिसंबर 2024 में एक दैनिक अखबार के पत्रकार को एक यूनिट रक्त की अचानक जरूरत पड़ गई । आर.के.कॉलेज की कैडेट शिवानी कुमारी ने अंडर अफसर राघवेंद्र के कहने पर तुरन्त अपना डोनर कार्ड उस पत्रकार को भेजा और जरूरत के समय बड़ी मदद की । 6/34 के पूर्व अंडर अफसर करण मेरठ में सड़क दुर्घटना के शिकार एक अपरिचित व्यक्ति को अपना खून देकर उसकी जान बचाने में बड़ी भूमिका अदा की । संयोग देखिए कि करण ने एक अपरिचित की मदद की और इधर करण की दादी इलाज़ के लिए डीएमसीएच, दरभंगा पहुँची तो वहाँ 8 बिहार बटालियन के सीनियर कडेट कुन्दन झा के कहने पर अंडर अफसर दीपक ठाकुर दादी माँ के ऑपेरशन से पहले पहुँचकर वहाँ हर तरह से मदद की । यह ऐसी मदद है जिसे पैसों के बल पर नहीं खरीदा जा सकता । समस्तीपुर ज़िला के कल्याणपुर प्रखण्ड के अजय कुमार के 16 महीने के पुत्र आर्यन कुमार को रक्त की जरूरत हुई डीएमसीएच में, तो 1/34 के एक्स कैडेट अमोद कुमार ने पटना से आकर अपना रक्त दे दिया और उस बच्चे की जान बच गई । 

जनवरी 2025 में कैम्प आने के दौरान ट्रेन से उतरते वक़्त एक कैडेट का बैग, जिसमें कई महत्त्वपूर्ण कागजात थे, ट्रेन में ही छूट गया । जबतक यह बात पता चलती, तबतक ट्रेन लहेरियासराय से आगे निकल चुकी थी । उसी वक़्त मधुबनी से 12 बिहार बटालियन, समस्तीपुर के सीनियर अंडर अफसर राजकुमार को फोन कर बैग तलाशने में मदद माँगी गई । SUO राजकुमार ने सदल-बल समस्तीपुर स्टेशन पहुँचकर ट्रेन की तलाशी ली और बैग बरामद कर अपने पास रखा । फिर मधुबनी के कैडेट समस्तीपुर जाकर राजकुमार से अपना बैग लेकर वापस आए । 

   2/34 की कैडेट पूर्णिमा को एक यूनिट रक्त की जरूरत पड़ गई तो 3/34 के SUO शुभनाथ झा ने तुरन्त  मधुबनी मेडिकल कॉलेज पहुँचकर रक्तदान किया और पूर्णिमा की माँ के इलाज में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । इसी प्रकार, दरभंगा में कई बार जरूरत पड़ने पर कैडेट कुन्दन झा, नंदन कुमार, दीपक ठाकुर, अनुष्का, कशिश राज, सुशील कुमार जैसे उत्साही एवं जिम्मेदार कैडेटों ने अपनी कर्त्तव्यपरायणता का परिचय दिया है । 

बीते 17 अप्रैल'25 को जयनगर में फायरिंग प्रैक्टिस करने के बाद घर वापस जा रही 2/34 की कैडेट नेहा कुमारी दुर्घटना का शिकार हो गई और उसके पैर की हड्डी टूट गई । कमांडिंग अफसर द्वारा यह कहने पर कि बटालियन की ओर से इलाज़ का कोई सरकारी प्रावधान नहीं है और मैं जो कुछ भी करूँगा अपने पैसे से करूँगा, तो यह उत्तर मिलने के बाद मधुबनी के कैडेटों के अतिरिक्त दरभंगा से कुन्दन झा, समस्तीपुर से राजकुमार जैसे सीनियर कैडेटों ने अविलम्ब आर्थिक मदद भेजी । 2/34 कंपनी से एक्स कैडेट वीणा, राजा के अतिरिक्त वर्त्तमान कैडेटों - सलोनी, प्रभाष, मनोहर, लव कुमार जैसे कैडेट नेहा की मदद करने उतरे । कैडेट प्रभाष और मनोहर तो डीएमसीएच तक में लगातार हर प्रकार से मदद पहुंचाता रहा । इस दौरान 34 बिहार के कमांडिंग अफसर कर्नल नितिन झा भी लगातार नज़र बनाए हुए थे और कैडेट नेहा की आर्थिक मदद के साथ ही हर तरह से मदद की । 7 बिहार बटालियन की एक्स कैडेट रुपाली, जो खो-खो की मशहूर खिलाड़ी है, एक बार अस्पताल अपने काम से गई और वहाँ रक्त के लिए गिड़गिड़ाते एक व्यक्ति को देखा तो वह तुरन्त अपना खून उस अपरिचित के परिजन को देकर मानवता की मिसाल पेश की ।

      इसी प्रकार, दूसरी बटालियनों के कैडेट भी स्थानीय स्तर पर जरूरत के समय एक दूसरे की सहायता करने से पीछे नहीं हट रहे । यह देखकर काफी खुशी होती है कि NCC में एकता और अनुशासन का पाठ पढ़नेवाले कैडेट्स अपनी निजी जिंदगी में भी एकता रखते हुए एक दूसरे की मदद के लिए सदैव तैयार खड़े मिलते हैं ।अपढ़सी

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