डॉ. शशिनाथ झा सहित चार व्यक्ति "मिथिला रत्न" उपाधि से सम्मानित
रिपोर्ट : उदय कुमार झा
मधुबनी : 02:05:2025
पंडौल प्रखण्ड का सरिसब-पाही इलाका प्राचीन काल से ही सारस्वत साधना का केन्द्र रहा है । इस क्षेत्र में माता शारदा के बड़े-बड़े साधक हुए हैं, जिनकी कीर्त्तिपताका चतुर्दिक फहरा चुकी है । साथ ही, इस क्षेत्र में दूसरे क्षेत्रों के विद्वानों का भी सम्मान सदा से किया जाता रहा है । इस प्राचीन परम्परा का निर्वाह आज भी सरिसब-पाही परिसर स्थित हाटी में पंडित हरिनारायण झा एवं पंडित शिवनारायण झा शैक्षणिक एवं सामाजिक सहयोग न्यास द्वारा किया जा रहा है ।
अवकाशप्राप्त अधिकारी सृष्टिनारायण झा ने "पंडित हरिनारायण झा एवं पंडित शिवनारायण झा शैक्षणिक एवं सामाजिक सहयोग न्यास" की स्थापना की । इसका मुख्य उद्देश्य संस्कृति एवं संस्कृत साहित्य के विभिन्न आयामों पर गम्भीर चर्चा तथा पुस्तक प्रकाशन के साथ ही निर्धन किन्तु मेधावी छात्र-छात्राओं के अध्ययन में सहयोग प्रदान करना है । इस न्यास द्वारा "जयश्री मेमोरियल उत्सव स्थल" (विवाह भवन) का निर्माण भी कराया गया । इस विवाह भवन में आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता अपनी पुत्री का विवाह सम्पन्न करवा सकते हैं और वह भी नगण्य खर्च कर ।
अपने स्थापना काल से ही यह न्यास प्रति वर्ष संस्कृत साहित्य एवं कला के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर रहे लोगों को "मिथिला रत्न" उपाधि से सम्मानित करता आ रहा है । इस वर्ष भी तृतीय वार्षिकोत्सव के अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें चार विशिष्ट लोगों :- डॉ. शशिनाथ झा, पूर्व कुलपति, डॉ. फणिकांत मिश्र, पूर्व निदेशक, डॉ. ममता स्नेही, एसोसिएट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, लनामिवि एवं श्रीमती अनुराधा झा, मधुबनी पेंटिंग कलाकार - को मिथिला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. लक्ष्मी श्रीनिवास पाण्डेय , अध्यक्ष पद पर आसीन थे पूर्व कुलपति डॉ. देवनारायण झा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान थे डॉ. विद्याधर मिश्र एवं डॉ. श्रीपति त्रिपाठी । मंच संचालन श्री अमल झा द्वारा किया गया ।
इस अवसर पर कई अन्य विद्वानों ने भी विद्वत्सभा को सम्बोधित किया । कार्यक्रम में शिक्षा एवं संस्कृति के महत्त्व पर काफी गम्भीर चर्चा की गई । डॉ. इन्द्रनाथ झा, डॉ. सदानन्द झा, डॉ. प्रबोध झा, डॉ. जयानंद झा, डॉ. जगन्नाथ झा, विनय झा, जीवन मिश्र सहित प्रबुद्ध वर्ग के कई व्यक्ति उपस्थित थे । संस्था के संरक्षक एवं संचालक सृष्टिनारायण झा ने सभी आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
आज के भागमभाग दौड़ वाली ज़िन्दगी में किसी भी न्यास द्वारा अपनी संस्कृति एवं अपने साहित्य के रक्षार्थ एवं उन्नयन हेतु ऐसा स्तुत्य प्रयास कम ही देखने को मिलता है । निर्धन किन्तु मेधावी छात्र-छात्राओं को दिए जानेवाले सहयोग से एक उन्नत अग्रिम पीढी का निर्माण भी इस न्यास द्वारा किया जा रहा है, जो वस्तुतः प्रशंसनीय है ।
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