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गुरुवार, 24 मार्च 2022

भारत और नेपाल के बीच जल्द शुरू होगी रेल सेवा, 619 करोड़ का है प्रोजेक्ट, फाइनल हो चुका स्पीड ट्रायल एवं ड्राई रन

 भारत और नेपाल के बीच जल्द शुरू होगी रेल सेवा, 619 करोड़ का है प्रोजेक्ट, फाइनल हो चुका स्पीड ट्रायल एवं ड्राई रन




भारत और नेपाल के बीच सहमति के बाद आवश्यक तकनीकी और परिचालन आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा, और इसके साथ ही आने वाले समय में जल्द ही इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू किया जाएगा।

भारत और नेपाल के बीच जल्द ही पटरी पर ट्रेन दौड़ेगी। बिहार के जयनगर से ट्रेन लाइन नेपाल से जोड़ी जा चुकी है। लगभग 619 करोड़ रुपये लागत से भारत-नेपाल मैत्री रेल परियोजना के तहत पहले चरण का काम तेजी से हो रहा है। पिछले दिनों समस्तीपुर मंडल के जयनगर और नेपाल के कुर्था के बीच ट्रैक पर ट्रेन का स्पीड ट्रायल हुआ।


दोनों स्टेशनों के बीच करीब 34.50 किलोमीटर लंबे नव-आमान परिवर्तित रेलखंड पर लोकोमोटिव इंजन द्वारा 110 किमी प्रतिघंटा की गति से सफलतापूर्वक स्पीड ट्रायल किया गया। इस दौरान इरकॉन और नेपाल रेलवे के कई वरिष्ठ उच्चाधिकारी मौजूद रहे थे। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस रेलखंड पर ट्रेन सेवाएं शुरू होंगी।

बता दें कि वर्ष 2014 से जयनगर- जनकपुर के बीच ट्रेनों का परिचालन बंद है। परिचालन फिर से शुरू होने की संभावना से सीमावर्ती भारत और नेपाल क्षेत्र के लोगों में इसको लेकर उत्साह है।


क्या है भारत-नेपाल मैत्री रेल परियोजना?


भारत-नेपाल मैत्री रेल परियोजना के तहत 619 करोड़ की अनुमानित लागत से कुल 69.08 किलोमीटर लंबी जयनगर-बिजलपुरा-बर्दीबास रेल परियोजना पर काम हो रहा है। पहले चरण में 34.50 किलोमीटर लंबा जयनगर-कुर्था (नेपाल) रेलखंड इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है। प्रोजेक्ट के पहले चरण में बिहार के मधुबनी जिले के जयनगर स्टेशन को नेपाल के कुर्था से जोड़ा जाना है। भविष्य में इसका विस्तार कुर्था से लगभग 18 किलोमीटर आगे बीजलपुरा तक किया जाएगा। बताया जा रहा है कि यह परियोजना दोनों देशों के लिए मील का पत्थर साबित होगी।


सात साल से बंद है ट्रेन परिचालन


जयनगर से नेपाल के जनकपुर तक वर्ष 2014 तक नेपाली ट्रेनों का परिचालन होता रहा है। यह रेल सेवा दोनों देश के लोगों की लाइफलाइन मानी जाती है। भारत सरकार ने वर्ष 2010 में मैत्री योजना के तहत जयनगर से नेपाल के वर्दीवास तक 69.5 किमी की दूरी में नैरो गेज को मीटर गेज में बदलने यानी छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने और नई रेल लाइन बिछाने के लिए 548 करोड़ रुपये बजट की स्वीकृति दी थी। वर्ष 2012 में इरकॉन ने जयनगर में कैंप कार्यालय खोल कर इस योजना पर निर्माण कार्य शुरू किया।


अब आगे क्या होगा?


स्पीड ट्रायल के सफल होने के बाद अब रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा निरीक्षण किया जाएगा। रेल संरक्षा आयुक्त की अनुमति मिलने और भारत और नेपाल के बीच सहमति के बाद आवश्यक तकनीकी और परिचालन आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा, और इसके साथ ही आने वाले समय में जल्द ही इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू किया जाएगा। भारतीय रेल संचालन और रख-रखाव की प्रक्रिया आदि की जानकारी साझा कर भारत बड़ी रेल लाइन यात्री सेवा के संचालन में नेपाल को पूर्ण सहयोग दे रहा है।

भारत से 2 डीएमयू ट्रेन खरीद चुका है नेपाल, जल्द बहाल होगी सेवा

रेलवे के मुताबिक, ट्रायल के बाद इरकॉन इंटरनेशनल, दिल्ली मुख्यालय के कार्यकारी निदेशक सुरेंद्र सिंह नेपाल की राजधानी काठमांडू में परियोजना के पहले फेज के पूर्ण काम को नेपाल सरकार को हैंडओवर कर चुके हैं। ट्रेन परिचालन को लेकर नेपाल सरकार ने कोंकण रेलवे, भारत से 2 डीएमयू ट्रेन पूर्व में खरीद कर ली है, जो नेपाल में कई महीनों से लगी हुई है। चालक, गार्ड और अन्य रेल कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही ट्रैक पर ट्रेनें दौड़ेंगी।

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