fवश्व यक्ष्मा दिवस पर आज होंगे कई कार्यक्रम
•टीबी के नए मरीजों की खोज और उपचार पर दिया जा रहा जोर
•प्राइवेट चिकित्सक को नए मरीज खोजने पर मिलेंगे 500 रुपए
•यूएसडीटी, एचआईवी और ब्लड शुगर की जांच सरकारी अस्पताल में ही कराएं
मधुबनी , 23 मार्च।
विश्व यक्ष्मा दिवस 24 मार्च को मनाया जाता है। इस अवसर पर जिले में कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। सीडीओ डॉ जीएम ठाकुर ने कहा टीबी से जिले और देश को 2025 मुक्त बनाने के लिए नए टीबी रोगियों की खोज और उनके तुरंत उपचार को प्राथमिकता दी जा रही है । भारत सरकार का लक्ष्य है कि पूरे देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है। जिसके लिए टीबी हारेगा, देश जीतेगा का नारा भी दिया गया है। उन्होंने कहा प्राइवेट और सरकारी चिकित्सक मिलकर टीबी रोगियों की खोज कर उसे सरकारी अस्पताल में इलाज एवं जांच के लिए प्रेरित करें । पीपीटी के माध्यम से प्राइवेट प्रैक्टिशनर को जिले मे टीबी कार्यक्रम की पूर्ण जानकारी के साथ वस्तुस्थिति से भी अवगत कराया गया है। कहा कि टीबी के 2017 से 2025 की रणनीति के अनुसार भारत को टीबी मुक्त देश और टीबी से मृत्यु को जीरो करना है। प्रति एक लाख पर अभी 217 मरीज की संख्या को 43 पर तथा मृत्युदर को 90 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है। प्राइवेट डॉक्टरों से अपील करते हुए डॉ ठाकुर ने कहा कि वैसे मरीज जो उनके पास टीबी के इलाज के लिए आते हैं उन्हें यूएसडीटी, एचआईवी और ब्लड शुगर की जांच कराने सरकारी अस्पताल में जरूर भेजें। वहीं टीबी मरीजों की पहचान करने पर प्राइवेट चिकित्सकों को भी पांच सौ रुपए दिए जाएगें।
रैली का होगा आयोजन:
विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर सुबह प्रशिक्षु नर्स, एसटीएस तथा स्वास्थ्य कर्मचारियों के द्वारा रैली का अयोजन किया जायगा। रैली शहर के मुख्य जगहों से गुजरती हुई फिर से यक्ष्मा विभाग आकर रुकेगी। रास्ते में टीबी हारेगा देश जीतेगा के नारों से सारा सड़क गुंजायमान किया जाएगा। साथ ही क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा । जिसमें प्रथम, दूसरा तथा तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले को पुरस्कृत किया जाएगा ।
गरीबी और कुपोषण टीबी के कारक:
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने कहा कि टीबी को हराने के लिए सबसे पहले हमारे समाज को आगे आने की जरूरत है। वहीं गरीबी और कुपोषण टीबी के सबसे बड़े कारक हैं। इसके बाद अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, डायबिटीज, एचआईवी, धूम्रपान भी टीबी के कारण होते हैं। टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, प्राइवेट चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टीसेक्टरल रिस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ वैसे समुदाय के बीच भी पहुंच बनानी होगी जहां अभी तक लोगों का ध्यान नहीं जा पाया है।
मीडिया का अहम रोल:
सिविल सर्जन डॉ झा ने कहा कि टीबी के कारण और सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया अहम रोल अदा कर सकता है। इसलिए सभी मीडिया प्रतिनिधियों से टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को कवरेज दें ताकि भारत को टीबी मुक्त बनाया जा सके।
निक्षय योजना का मिलता है लाभ:
डीपीसी पंकज कुमार ने कहा कि निक्षय योजना के तहत प्रत्येक टीबी मरीज को पूरे इलाज के दौरान 500 रुपये दिए जाते हैं ताकि वह अपने पोषण की जरूरतों को पूरा कर सके। यह राशि सीधे टीबी मरीजों के बैंक खाते में जाती है जो कि बिल्कुल ही पारदर्शी व्यवस्था से गुजरता है.
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