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Thursday 16 February 2023

"भारत मे समाजवाद और उसकी प्रासंगिकता" पुस्तक का लोकार्पण

 "भारत में समाजवाद और उसकी प्रासंगिकता" पुस्तक का हुआ लोकार्पण



सबको साथ लेकर चलने के हिमायती थे जे.पी. :- डॉ. नंद कुमार


संक्रमण के दौर से गुजर रहा है भारतीय राजनीति, जेपी के सिद्धांत निजात दिलाने में सक्षम :- डॉ. शैलेश कुमार 


भारत में लोहिया के बाद सबसे अधिक प्रासंगिक रहे जेपी :- डॉ. अखिलेश कुमार 


न्यूज़ डेस्क : मधुबनी



मधुबनी जिले के जयनगर स्थित डी.बी. कॉलेज के कॉन्फ्रेंस हॉल में महाविद्यालय के युवा शिक्षाविद् डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. अखिलेश कुमार एवं श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, गजरौला के शिक्षाविद् डॉ. मो. जमील हसन अंसारी द्वारा संपादित "भारत में समाजवाद और उसकी प्रासंगिकता" पुस्तक का लोर्कापण प्रधानाचार्य डॉ. नंद कुमार के कर कमलों से किया गया।     

पुस्तक लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य डॉ. नंद कुमार ने कहा कि आजादी के बाद अवाम को अपने साथ जोड़ने का जो प्रयोग जेपी ने किया वह अद्भुत है, वे सबको साथ लेकर चलने के हिमायती थे। आजाद भारत में विचारधाराओं का जो वाद उभरा उसमें नेहरू और लोहिया के बाद सबसे अधिक प्रासंगिक जेपी ही रहे हैं।

 डॉ. संजय कुमार पासवान ने कहा कि बिहार की राजनीति पर जेपी का आज तक गहरा असर रहा है। पिछले कई दशकों से जेपी के शिष्य ही सत्ता के केंद्रबिंदु में पक्ष और विपक्ष की भूमिका में रहे हैं ; चाहे वो लालू, नीतीश, सुशील मोदी या स्व. राम विलास ही क्यों न हों। आज शोधार्थियों एवं छात्रों को जेपी को पढ़ना, जानना, समझना, आत्मसात करना एवं शोध करना चाहिये, ताकि आने वाले पीढ़ी को इसका लाभ मिल सके। 

वहीं, डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि वर्त्तमान दौर में भारतीय राजनीति की दशा पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है और वह संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। जेपी के सिद्धांत ही संक्रमण काल से निजात दिलाने में सक्षम हैं , अतः आवश्यकता इस बात की है कि उनके विचारों को जिंदा रखा जाए। 

वहीं, डॉ. अखिलेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि प्रस्तुत पुस्तक में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के समाजवादी विचारों का उल्लेख किया गया है। उक्त पुस्तक राष्ट्रीय प्रकाशक रूद्र प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी एवं शिक्षाविदों के मौलिक शोध आलेख प्रकाशित हैं। तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में लोहिया के बाद सबसे अधिक प्रासंगिक जेपी ही रहे हैं।

इस दौरान मुख्य रूप से प्रधानाचार्य डॉ. नंद कुमार, डॉ. संजय कुमार पासवान, डॉ. उमेश प्रसाद सिंह, वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. अखिलेश कुमार श्रीवास्तव, डॉ. श्याम कृष्ण सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष तथा शिक्षाविद् उपस्थित थे।

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