यहाँ हर ओर शिव ही शिव
कोलार से उदय कुमार झा की खास रिपोर्ट :
इतिहास में हमने पढ़ा है कि भारत को "सोने की चिड़िया" कहा जाता था । विदेशी आक्रान्ता इसी के कारण भारत पर बार-बार हमला करते थे । भारत को "सोने की चिड़िया" बनानेवाला इलाका कर्णाटक का कोलार ज़िला है, जहाँ सोने की खानें पाई जाती हैं । सोने की खानों के लिए विश्वप्रसिद्ध कोलार ज़िला आज इसलिए भी प्रसिद्धि पा रहा है,क्योंकि यहाँ साक्षात शिवलोक बस गया है । यहाँ "कोटि लिंगेश्वर" नामक मन्दिर है, जहाँ पहुँचते ही चारों ओर शिवलिंगों का ही दर्शन प्राप्त होता है । एशिया का सबसे बड़ा और सबसे ऊँचा शिवलिंग भी यहीं स्थापित होने की बात बताई गई । शिव के साथ ही नंदी की भी बहुत ऊँची और विशाल प्रतिमा यहाँ स्थापित है । यहाँ पहुँचने का रास्ता भी नयनाभिराम है, जो यात्रा के दौरान आँखों को शुकून देता है । छोटी-छोटी पहाड़ियों और झीलों , बड़े-लंबे पेड़ों ने जैसे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया है, मानो रास्ते की थकावट का अनुभव ही नहीं होता । मन्दिर के पास पहुँचते ही 108 फुट ऊँचे शिवलिंग का दर्शन पाते ही श्रद्धालुओं का मन हर्षित हो जाता है । कतारबद्ध होकर टिकट कटाने के बाद जब मन्दिर के अंदर प्रवेश किया जाता है तो चारों ओर शिवलिगों का ही दर्शन होता है । बीच में तीन मन्दिर बने हुए हैं, जिनमें कई देवी-देवताओं के साथ ही साम्ब सदाशिव के दर्शन होते हैं । बीच-बीच में श्रद्धालुओं के बीच - नमः पार्वतीपतये, हर हर महादेव - का जयघोष भी होता रहता । छोटे-बड़े लाखों शिवलिंग इस मंदिर में एक साथ देखे जा सकते हैं । मन्दिर परिसर के अंदर 40 रुपये, 60 रुपये और 100 रुपये मूल्य के लड्डू मिलते हैं । मन्दिर परिसर में तीर्थयात्रियों के लिए भोजन, पानी, शौचालय की भी व्यवस्था है । 1980 ई.में इस मंदिर की रचना स्वामी साम्ब शिवमूर्त्ति द्वारा करवाई गई, ऐसा वहाँ के लोगों ने बताया । 33 मीटर ऊँचा शिवलिंग, 11 मीटर ऊँचा नंदी और मन्दिर परिसर में स्थापित लाखों शिवलिंग यहाँ बरबस लोगों को आने को विवश कर देते हैं । यहाँ लोग निर्धारित शुल्क जमाकर शिवलिंग दान भी करते हैं और उस शिवलिंग के पास दाता का नाम भी लिख दिया जाता है ।
इस प्रकार, पूरे विश्व का अनोखा शिव मंदिर है - कोटि लिंगेश्वर मन्दिर ।
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