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शनिवार, 6 जनवरी 2024

बाल हृदय योजना के तहत 28 बच्चों को भेजा गया IGIC

 बाल हृदय योजना के तहत जिला से 28 बच्चों को भेजा गया आईजीआईसी, हृदय रोग वाले बच्चों की होगी जांच और इलाज




साभार : सुमित कुमार राउत





स्वास्थ्य विभाग द्वारा हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को आवश्यक जांच और इलाज के लिए मधुबनी सदर अस्पताल से 28 बच्चों एवं उनके परिजनों के साथ पटना भेजा गया, जहां बच्चों का इलाज, परामर्श तथा ऑपरेशन के लिए रेफर  किया जाएगा।

विदित हो कि हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों को निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराने के लिए बाल हृदय योजना की शुरुआत की गई है। सभी बच्चों का इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में बाल हृदय योजना के तहत निःशुल्क जांच के लिए शिविर का आयोजन किया गया है। सभी चिह्नित बच्चों के साथ परिजनों को 102 एंबुलेंस के माध्यम से भेजने और वापस ले जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। बच्चों के साथ एक आयुष चिकित्सा फार्मासिस्ट को भी भेजा गया।

इस सम्बन्ध में सिविल सर्जन डॉ. भीमसारिया ने बताया राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संचालित बाल हृदय योजना की मदद से इन बच्चों का नि:शुल्क इलाज होता है। बच्चों का पटना स्थित इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी द्वारा आयोजित विशेष शिविर के दौरान चिकित्सक रोग की गंभीरता की जांच करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर उनके ऑपरेशन की व्यवस्था अहमदाबाद में की जायेगी। इस योजना के तहत बच्चों के इलाज तथा परिजन के आने जाने के सभी खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है।




दिल में छेद से ग्रसित 28 बच्चा को भेजा गया पटना :


जिले के विभिन्न प्रखंडों से दिल में छेद से ग्रसित 28 बच्चा को पटना भेजा गया। जिसमें अंधराठाढ़ी से 3, बिस्फी से 2, हरलाखी 1, जयनगर 1, झंझारपुर 2, कलुआही 1, खजौली 1, खुटौना 1, लदनियां 2, लखनौर 1, लौकही 1, मधेपुर 2, पंडौल 2, फुलपरास 1, रहिका 3, राजनगर 3 बच्चों को दिल में ऑपरेशन तथा परामर्श के लिए पटना भेजा गया।




जरूरतमंद हृदय योजना का उठायें लाभ :


राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. कमलेश कुमार शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत विभिन्न रोग से ग्रसित 0 से 18 साल के बच्चों के लिये इलाज की व्यवस्था है। इसमें बाल हृदय योजना भी शामिल है। इस योजना के तहत हृदय में छेद सहित विभिन्न तरह के हृदय रोग से ग्रसित बच्चों के नि:शुल्क इलाज का इंतजाम है। रोगग्रस्त बच्चों की पहले विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा जरूरी जांच की जाती है। फिर जरूरी पड़ने पर उन्हें बेहतर चिकित्सा संस्थान भेजा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में आने वाला खर्च सरकार वहन करती है। आम लोगों को सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना चाहिये।

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