मीडिया का असली हीरो सुमित राउत, जीवनदान देने वाला पत्रकार, जिसने 39के उम्र में किया 49 बार रक्त दान
रिपोर्ट : सुमित कुमार राउत
मधुबनी
एक तरफ जहाँ बिहार के यूवा समाजसेवा की भावना से कम आकर्षित होकर अन्य चीजो में व्यस्त रहते हैं।
वहीँ, बेकार और फिजूल एवं पित पत्रकारिता से जहाँ पत्रकारिता बदनाम हो रहा है, वहीं, ये ख़बर आपको सुकून देगा की बिहार में एक ऐसा भी पत्रकार है जो अपने शरीर के रक्त से किसी की जान बचा रहा है, साथ में इतना ही नहीं कोरोना काल से रोजाना सैंकड़ों भूखों को भोजन खिला रहें।
नाम है सुमित कुमार राउत, उम्र-39वर्ष, फूल टाईम पत्रकारिता, साथ ही कई डिजीटल प्लेटफॉर्म से सुमित जुड़े हैं।
ये दावा करता हैं पूरे देश में ऐसा कोई पत्रकार नहीं होगा, जिसने इतनी कम उम्र में 49 बार रक्तदान कर किसी की जान बचाई होगी।
आज इन्होने मधुबनी सदर अस्पताल में बासोपट्टी प्रखंड की एक जरूरतमंद मरीज ममता देवी के लिए रक्तदान किया।
मधुबनी जिले के जयनगर निवासी माँ अन्नापूर्णा रक्त रक्षक, जयनगर के सुमित कुमार राउत ने शनिवार को सदर अस्पताल इस्तिथ ब्लड बैंक,मधुबनी में अपने जीवन का 49वां रक्तदान किया। इससे पहले भी कई बार लोगों को रक्त देकर उनका जीवन बचाने का काम किया हैं।
इस अवसर पर पत्रकार सह समाजसेवी सुमित कुमार राउत ने कहा कि रक्तदान जीवनदान है। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है, जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं। अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षित व सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं, तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें। रक्त दान को हमारे समाज में महादान माना गया है। इसकी बजह से प्रतिवर्ष लाखों लोगों को नया जीवन मिलता है। दरअसल इंसान के रक्त को बनाया नहीं जा सकता है। जो ब्लड लोगों द्वारा दान किया जाता है, वही अन्य जरूरतमंद लोगों के लिये इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह रक्त दान द्वारा दूसरों की जिंदगी बचाने का काम होका है। वहीं यह भी जानना जरूरू है कि रक्त दान करने वाले व्यक्ति को भी इससे फायदे होते है।दिल का स्वास्थ्य बेहतर होता है- नियमित रूप से ब्लड डोनेशन करने से आयरन लेवल ठीक बना रहता है। शरीर में आयरन बढ़ जाए तो ऑक्सीडेटिव डैमेज होता है, जिससे टिशू डैमेज होता है। ये दिल की बीमारियों से भी बचाव करता है। ये वक्त से एजिंग होने, स्ट्रोक आने और हार्ट अटैक से बचाव करता है।लीवर की बीमारियों और कैंसर का जोखिम कम- ब्लड डोनेट करने से लीवर पर अच्छा असर पड़ता है। लीवर का कार्य आयरन मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करता है। ब्लड डोनेशन से शरीर में आयरन की मात्रा सही बनी रहती है और लीवर डैमेज होने से बचता है। साथ ही, आयरन की अधिकता से लीवर टिशू का ऑक्सीडेशन होता है, जिससे वो डैमेज हो सकता है और आगे चलकर कैंसर बन सकता है। इसलिए नियमित रूप से ब्लड डोनेट करने से लीवर कैंसर का जोखिम भी कम होता है।
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