"द उम्मीद" की तीसरी वर्षगांठ – एक प्रेरणास्पद यात्रा का उत्सव
युवाओं की सोच से निकली एक क्रांति
समस्तीपुर : जब बात समाज के कमजोर तबके की होती है, तो अक्सर जिम्मेदारी सरकार या अनुभवी संगठनों पर छोड़ दी जाती है। लेकिन "द उम्मीद" ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया। बिहार के सबसे कम उम्र के युवाओं द्वारा संचालित इस संगठन ने यह साबित कर दिखाया कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो उम्र कोई बाधा नहीं बन सकती।
संस्था की स्थापना उस विश्वास पर हुई थी कि –
"हर झुग्गी सिर्फ गरीबी की कहानी नहीं, एक सपना और हुनर की पहचान है।"
Resonance Auditorium, समस्तीपुर में कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं संस्थापक अमरजीत कुमार के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने अपने भावुक संबोधन में संस्था की प्रारंभिक यात्रा, चुनौतियाँ और समाज की प्रतिक्रिया को साझा किया। मंच संचालन संस्था की सह-संस्थापिका श्वेता गुप्ता द्वारा बेहद प्रभावशाली ढंग से किया गया।
इस समारोह की शोभा बनीं सुचिता सिंह, जो केवल एक सौंदर्य प्रतियोगिता विजेता ही नहीं, बल्कि एक समाजसेवी और युवा प्रेरक भी हैं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा:
"द उम्मीद जैसे संगठनों की वजह से ही समाज में असली बदलाव आता है। जब युवा शिक्षा, रक्तदान और सेवा को एक मिशन बना लेते हैं, तब नया भारत बनता है।"
समारोह में कई सम्माननीय अतिथि शामिल हुए, जिन्होंने संस्था के कार्यों की सराहना की और अपने विचार भी साझा किए:
डॉ. सौमेंदु मुखर्जी, अध्यक्ष – द उम्मीद मेडिकल कोर
"द उम्मीद, समस्तीपुर में जिस उत्कृष्टता से कार्य कर रही है, वह प्रेरणादायक है। समाज के हर वर्ग को इस प्रयास से जुड़ना चाहिए।"
श्रीमती मंदिरा पालित मिलानी महिला संघ, अपराजिता यादव,
सूबेदार मेजर महेन्द्र – 12 बिहार बटालियन एनसीसी,कुंदन कुमार रॉय – यूथ मोटिवेटर,संजय कुमार ‘बबलू’, सौरव सुमन, जितेंद्र कुमार गणमान्य थे
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