द्वितीय बिहार बाल विज्ञान शोध कार्यक्रम 2025 में छात्रों की सक्रिय भागीदारी
खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर केंद्रित शोध बने आकर्षण का केंद्र
मधुबनी।
रीजनल सेकेन्डरी स्कूल, जीवछ चौक, सप्त, मधुबनी में आयोजित द्वितीय बिहार बाल विज्ञान शोध कार्यक्रम 2025 ने बाल वैज्ञानिकों के नवाचार, जिज्ञासा और वैज्ञानिक सोच को एक सशक्त मंच प्रदान किया।
इस कार्यक्रम का आयोजन राज्य समग्र शिक्षा, बिहार तथा राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद, बिहार के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम की थीम “खाद्य सुरक्षा एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन” रही, जिस पर आधारित विभिन्न उप-विषयों पर कक्षा 9 के विद्यार्थियों ने गहन शोध प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में बीएसवीएम + हथिऔनदा, बिहारीगंज के एमडी अलतमश ने “खरपतवार का अध्ययन एवं उसके वैकल्पिक उपयोग” विषय पर शोध प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जिन खरपतवारों को हम अनुपयोगी मानते हैं, वही भविष्य में संसाधन बन सकते हैं।
एसएनपीएम +2 स्कूल, मधेपुरा के दुर्गेश कुमार ने “खरपतवार का औषधि के रूप में उपयोग” विषय पर शोध करते हुए पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय पर जोर दिया।
वहीं यूएमएस चकला, मधेपुरा के शिवम् कुमार ने “खाद्य सामग्री का बेहतर उत्पादन, भंडारण एवं परिरक्षण” पर शोध प्रस्तुत कर खाद्य अपव्यय कम करने के उपाय सुझाए।
यूएचएसएस रेशन्या, ग्वालपाड़ा, मधेपुरा की प्रतिमा ने हाइड्रोपोनिक विधि से माइक्रोग्रीन उगाने पर 40–50 पृष्ठों का शोध 11 दिनों में पूरा किया, जो विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। उन्होंने बताया कि कम जगह और कम पानी में पोषणयुक्त भोजन कैसे उगाया जा सकता है। इस शोध में सोनी मैम ने उनकी मार्गदर्शक (मोटिवेटर) की भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने संवादात्मक शैली में अपने शोध प्रस्तुत किए और यह संदेश दिया—
अगर बच्चों को सही दिशा और मंच मिले, तो वे समाज और पर्यावरण के लिए बड़े समाधान खोज सकते हैं।

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