"मिथिला का धरोहर" कार्यशाला यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय में आयोजित
रविवार शाम को इन्डियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, मिथिला ललित संग्रहालय, सौराठ एवं यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय,पैटघाट , मधुबनी के संयुक्त तत्वावधान मे पुस्तकालय सभागार में 'मिथिला का धरोहर (खास कर के पांडुलिपि) पर कार्यशाला' आयेजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री (प्रो) प्रबोध झा, सेवानिवृत अंग्रेजी विभागध्यक्ष, एम एल एस कॉलेज, सरिसब पाही; पुस्तकालय के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्री अशर्फी कामति के एवं मुख्य अतिथि श्री शिवकुमार मिश्र, पुरातत्वविद एवं लक्ष्मीश्वर पुस्तकालय (दरभंगा ) थे। पुस्तकालय अध्यक्ष के स्वागत भाषण एवं पुस्तकालय के संक्षिप्त गतिविधि की जानकारी के बाद इंटेक के निदेशक ज़ूम ऑनलाइन माध्यम से इन्टैक लखनऊ के निदेशक डॉ ममता मिश्र ने पांडुलिपि संरक्षण पर विस्तृत चर्चा की एवं कई प्रश्नों का समुचित उत्तर दिया। इंटैक के पाण्डुलिपि संरक्षण विशेषज्ञ श्री विनोद कुमार तिवारीजी द्वारा संरक्षित पाण्डुलिपि का प्रदर्शन किया गया तथा उपस्थित विद्वानों सेअपने प्राचीन पाण्डुलिपि संग्रह का संरक्षण करने का निवेदन किया।तिवारी ने पावरपॉइंट के माध्यम से दरभंगा के महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय एवं मिथिला शोध संस्थान मे किये गए पांडुलिपि संरक्षण के विषय मे विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की गई।संग्रहालयाध्यक्ष शिव कुमार जी ने मिथिला में संरक्षण की वर्तमान स्थिति एवं कठिनाइयों के बारे में बताया। डा मिश्र ने मिथिला की धरोहरों के संरक्षण एवं सुरक्षण के आमजनमानस मे जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया।बिदेश्वर स्थान, इसहपुर, उग्रनाथ शिव लिंग, पस्टन नवटोली के बौद्ध स्तूप, अंधरामठ थाना, मुक्तेश्वर स्थान आदि के धरोहरों के क्षरण को बचाने की जरूरत पर डा मिश्र ने बल दिया।अध्यक्षीय भाषण में श्री प्रबोध झा ने पाण्डुलिपि संरक्षण एवं मिथिला के धरोहर संरक्षण का आह्वान किया । साथ ही, रुपौली के गौरी शंकर मंदिर पर विशेष ध्यान देने की बात की एवं इंटेकएवं सभी संस्था को अच्छे काम के लिए साधुवाद दिया। अमल कुमार झा ने सभा का संचालन किया एवं इसहपुर एवं अमरावती नदी के खुदाई संबंधित बैकग्राउंड के बारे में बताया। जिसपर बाद में डा शिवकुमार मिश्र ने विस्तृत जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम के दौरान कुछ पंजी को, जो इंटेक के माध्यम से संरक्षित किया गया है, उसे उनके दाता प्रोफेसर जयानंद मिश्र एवं अमल कुमार झा को हस्तगत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन के दौरान श्री निर्भय नाथ मिश्र ने पुस्तकालय द्वारा पांडुलिपि एवं बहुमूल्य पुस्तको के संरक्षण मे उठाये गए कदमो की चर्चा की । साथ ही संरक्षण के लिए पंचायत राज, पुलिस, मंदिर प्रबंधन आदि को जागरूक करने पर बल दिया। इस कार्यक्रम में प्रो भैरवेश्वर झा, प्रो0 विनोदानन्द झा, प्रो0 दया कान्त झा, श्री शोभाकान्त झा, श्री महेन्द्र मिश्र, प्रो रमेश झा, प्रो बोधनाथ मिश्र, डा अजीत मिश्र, डा सुशांत भास्कर, मुरारी कुमार झा, पुस्तकालय सचिव उदयनाथ मिश्र, कोषाध्यक्ष दिगम्बर कामति, महेंद्र मिश्र, दीनानाथ मिश्र, शिवशंकर श्रीनिवास, शैलेन्द्र आनंद, मिथिलेश मिश्र, चन्द्रप्रकाश ,आनंद कुमार झा, भाष्कर मिश्र,गौरव कुमार मिश्र, उमानाथ मिश्र, पृथ्वीपती कामति, अनुज झा, अमरनाथ मिश्र, सौरभ झा, श्री ऋषि झा, सुश्री श्रुति कुमारी सहित अनेको सदस्य, विद्वान एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे। कार्यक्रम का फेसबुक प्रसारण भी किया गया
जिसके द्वारा भी अनेक लोग जुड़े एवं कार्यक्रम से लाभ उठाये।
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