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गुरुवार, 20 जुलाई 2023

मलमास में शिव के साथ श्रीहरि की उपासना से मिलता शुभफल

 आरम्भ है  मलमास : इस माह में भगवान शिव के साथ श्रीहरि की उपासना से मिलता है शुभ फल :  ज्योतिषाचार्य डॉ. राजनाथ झा



पटना : 20:07:2023


भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर तीन साल पर अधिकमास यानी मलमास आता है। मंगलवार यानी 18 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। इसके बाद 17 अगस्त से फिर से शुद्ध सावन आंरभ होगा। लेकिन मलमास भी सावन का हिस्सा है, जिसके कारण सावन महीना 59 दिन का रहेगा। साथ ही इस महीने में पड़ने वाली सोमवारी व्रत को भक्त कर सकेंगे। इस साल सावन मास में अधिकमास का संयोग 19 वर्ष के बाद बन रहा है, जिसके कारण सावन मास एक महीने के बजाए दो महीने का है। हर साल सावन में चार सोमवारी व्रत होता है। लेकिन इस बार अधिमास होने से आठ सोमवार व्रत पड़ रहे है। वहीं अधिकमास लगने के कारण चातुर्मास 5 महीने तक रहेगा। मान्यता के अनुसार, चातुर्मास के दौरान सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान वे अपना कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं। इस समय विवाह, मुंडन, भवन बनाना, गृह प्रवेश सहित कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। विष्णु जी की अनुपस्थिति के कारण विवाह संस्कार एवं अन्य प्रकार के मांगलिक कार्यों पर भी विराम लग जाता है। 



मलमास में क्या करें :

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मलमास यानी अधिमास को पुरुषोत्तम मास के रुप में जाना जाता है। भारतीय सनातन धर्म परंपरा में पुरुषोत्तम मास के स्वामी साक्षात नारायण होते हैं। इस माह में श्रीहरि की उपासना और पूजा-पाठ श्रद्धा पूर्वक करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस साल सावन में भगवान शिव के साथ ही भगवान विष्णु की उपासना करना शुभफलदायी होगा। शास्त्रों के अनुसार इस माह अपने इस्ट देव, कुल देव की पूजा करने से श्रेष्ठफल की प्राप्ति होती है।


राजगीर में निवास करते हैं देवता :

मलमास के महीने में मान्यता के अनुसार सभी 33 कोटि  देवता राजगीर में निवास करते हैं।  इसलिए एक माह यहां भगवान विष्णु के दर्शन-पूजन करने का विधान है। ज्योतिर्वेद विज्ञान केंद्र के निदेशक आचार्य राजनाथ झा के अनुसार, कुंड में स्नान कर श्रीहरि के दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस माह में 37 तरह के पकवान बनाकर कांसा के बर्तन में भगवान विष्णु को चढ़ाते हैं। उन्हें भगवान श्रीहरि पुत्र, पौत्रादि के साथ अनेकों संपदा प्रदान करते है।

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