राजनेताओं और वरीय पदाधिकारियों की उपेक्षा का शिकार हुआ अयाची डीह : बुद्धिजीवियों में रोष
रिपोर्ट : उदय कुमार झा
08:01:2024
मधुबनी : तारीख 9 सितम्बर 2017 । पंडौल प्रखंड अन्तर्गत सरिसब-पाही स्थित अयाची डीह पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आगमन हुआ । हेलीपैड से मुख्यमंत्री पहुँचे सिद्धेश्वरी भगवती के दरबार में, जहाँ दर्शन करने के बाद उन्होंने अयाची डीह का भ्रमण किया और वहाँ उपस्थित विद्वानों से उस डीह के साँस्कृतिक-शैक्षिक महत्त्व के बारे में जाना । तत्पश्चात उनका काफ़िला लक्ष्मीश्वर एकेडमी, सरिसब के मैदान में बने मंच पर पहुंचा । मुख्यमंत्री ने भरी सभा में सार्वजनिक मंच से अयाची डीह के उत्थान और हरसंभव विकास का आश्वासन दिया । स्थानीय लोग गदगद हुए यह सोचकर कि अब उनके इलाके के महान विद्वान म.म. भवनाथ मिश्र प्रसिद्ध अयाची मिश्र के डीह का विकास होगा ।
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के बाद मधुबनी के तत्कालीन डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने अयाची डीह के विकास में रुचि लेते हुए और मुख्यमंत्री द्वारा किये गए वादे के अनुरूप कार्रवाई शुरू की । अयाची डीह के विकास एवं सौंदर्यीकरण हेतु सक्षम पदाधिकारी से प्राक्कलन तैयार करवा कर पत्र-संख्या 48/(जि. वि.), दिनाँक-07:12:18 के माध्यम से निदेशक, पुरातत्त्व (पटना), कला, संस्कृति एवं युवा विभाग को भेजा गया, जिसमें अयाची डीह के विकास एवं सौंदर्यीकरण हेतु 1,28,36,400 रुपये एवं "चमनियाँ तालाब" के विकास हेतु 76,59,600 रूपये का तकनीकी अनुमोदित प्राक्कलन प्रेषित करने का उल्लेख है । साथ ही, ज्ञाप संख्या - 325/जि.वि. ; दिनाँक - 19:04:2018 के माध्यम से डीएम ने सरिसब-पाही में अयाची डीह पर "अयाची महोत्सव" आयोजित कर उसे राजकीय दर्ज़ा दिए जाने के सम्बन्ध में विभागीय प्रधान सचिव के पास प्रस्ताव भेजा था । अयाची डीह विकास समिति के अध्यक्ष सहित संयोजक एवं सदस्यगण डीएम द्वारा त्वरित कार्रवाई पर खुशी जताते हुए पटना गए और विभागीय पदाधिकारियों एवं नेताओं से मिलकर उनसे सहयोग की अपेक्षा की । इसी क्रम में अयाची डीह विकास समिति के संयोजक और तत्कालीन मुखिया रामबहादुर चौधरी के नेतृत्त्व में कई बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी पटना जाकर मुख्यमंत्री के सन्निकट रहनेवाले और मधुबनी के मूल निवासी मंत्री संजय झा से मिलते रहे । साथ ही विभागीय सचिवों से मिलकर भी न्याय और दर्शनशास्त्र के मुख्य केंद्र के रूप में विख्यात अयाची डीह के विकास एवं सौंदर्यीकरण हेतु आरज़ू-मिन्नत करते रहे , किन्तु वही ढाक के तीन पात । एमएलएस कॉलेज सरिसब-पाही के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ जगदीश मिश्र का कहना है कि अयाची डीह की नापी करवाकर चहारदीवारी का निर्माण अत्यावश्यक है । संस्कृत विद्यापीठ, प्रयाग के पूर्व रीडर एवं राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित विद्वान डॉ. किशोरनाथ झा ने कहा कि उस डीह पर संस्कृत के पठन-पाठन की व्यवस्था हो या किसी अच्छे पुस्तकालय की स्थापना हो, जहाँ लोग प्राच्यविद्या का भी अध्ययन कर सकें । लनामिवि, दरभंगा के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ. विद्यानन्द झा ने कहा कि शासन-प्रशासन पर दबाव बनाने में हम असफल रहे, इसीलिए अबतक विकास नहीं हो पाया, जबकि संयोजक रामबहादुर चौधरी ने कहा कि हमलोग पटना जाकर मंत्री से लेकर अफसरों तक दौड़ लगाते रह गए, मुख्यमंत्री की भी इच्छा थी कि विकास हो, किन्तु बड़े राजनेता एवं अफसरों की लालफीताशाही के कारण आज तक इस डीह के विकास के लिए ठोस कदम नहीं उठाया गया । जाहिर है कि सरिसब-पाही क्षेत्र के बुद्धिजीवियों के साथ ही आमजन भी संस्कृत के इस महान केन्द्र की उपेक्षा से आक्रोशित दिख रहे हैं ।
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